विश्वविद्यालयों में वाल्मीकि अध्ययन पीठ की स्थापना हो
व्याख्याता एफबी सोरटुर ने कहा कि आकलन किया जाता है कि रामायण महाकाव्य को 5016 वर्ष पूर्व लिखा गया है। मूल रामायण काव्य के आधार पर देश की विभिन्न भाषाओं में भी रामायण की रचना की गई है। विश्व के 60 देशों में आज रामायाण का जाप किया जाता है। रामायण और वाल्मीकि का इतिहास तथा अन्य रामायणों का अध्ययन करने के लिए सुविधा की खातिर विश्वविद्यालयों में वाल्मीकि अध्ययन पीठ की स्थापना होनी चाहिए।कार्यक्रम में तालुक पंचायत उपाध्यक्ष गुरुपादप्पा कमडोल्ली, सामाजिक न्याय स्थाई समिति के अध्यक्ष बसप्पा गूलप्पा बीरण्णवर, तालुक पंचायत सहायक निदेशक गंगाधर कंदकूर, समाज कल्याण विभाग की सहायक निदेशक मुक्तांबिका अरळेलिमठ, वाल्मीकि संघ के अध्यक्ष मंजुनाथ हुडेद, गुरुनाथ उल्लिकाशी, मारुति बीलगी, तालुक पंचायत सदस्य समेत कई उपस्थित थे।
इस मौके पर समुदाय के प्रतिभावान विद्यार्थियों को प्रतिभा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। डॉ. प्रहलाद गेज्जी ने स्वागत किया। रामचंद्र पत्तार ने कार्यक्रम का संचालन किया। बसवराज दुंदूर ने आभार जताया।