सवाल: क्या नई पीढ़ी का प्रवचन की तरफ झुकाव हुआ हैं?
साध्वी: आजकल मोबाइल सबको बिगाड़ रहा है। आज व्यक्ति मोबाइल में अधिक लीन रहने लगा है। भोजन करते समय भी वह मोबाइल पर ही अधिक मशगूल रहने लगा हैं। पिछले 4-5 साल से ऐसा अधिक होने लगा है। हम प्रवचन एवं अन्य अवसरों पर मोबाइल से दूर रहने के बारे में कहते हैं। कम से कम भोजन करते समय मोबाइल उपयोग में नहीं लें। इसका वचन भी श्रावक-श्राविकाएं लेते हैं। प्रवचन में तत्वज्ञान की बात समावेश करें तो युवा वर्ग का जरूर प्रवचन-आध्यात्म की तरफ झुकाव होगा।
साध्वी: आजकल मोबाइल सबको बिगाड़ रहा है। आज व्यक्ति मोबाइल में अधिक लीन रहने लगा है। भोजन करते समय भी वह मोबाइल पर ही अधिक मशगूल रहने लगा हैं। पिछले 4-5 साल से ऐसा अधिक होने लगा है। हम प्रवचन एवं अन्य अवसरों पर मोबाइल से दूर रहने के बारे में कहते हैं। कम से कम भोजन करते समय मोबाइल उपयोग में नहीं लें। इसका वचन भी श्रावक-श्राविकाएं लेते हैं। प्रवचन में तत्वज्ञान की बात समावेश करें तो युवा वर्ग का जरूर प्रवचन-आध्यात्म की तरफ झुकाव होगा।
सवाल: श्रावक-श्राविकाएं प्रवचन को कितना अंगीकार कर पा रहे हैं?
साध्वी: भगवान महावीर स्वामी की वाणी सबके लिए समान है। यदि प्रवचन का असर किसी एक श्रावक-श्राविका पर भी होता हैं तो प्रवचन देना सार्थक हो जाता है।
साध्वी: भगवान महावीर स्वामी की वाणी सबके लिए समान है। यदि प्रवचन का असर किसी एक श्रावक-श्राविका पर भी होता हैं तो प्रवचन देना सार्थक हो जाता है।
सवाल: क्या आपको नहीं लगता कि मौजूदा दौर में दिखावे की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है?
साध्वी: दिखावे पर अंकुश लगना चाहिए। चातुर्मास भी सादगीपूर्ण होने चाहिए। जितना हो सकें हम दिखावे से दूर ही रहें।
साध्वी: दिखावे पर अंकुश लगना चाहिए। चातुर्मास भी सादगीपूर्ण होने चाहिए। जितना हो सकें हम दिखावे से दूर ही रहें।
सवाल: क्या आप मानते हैं कि मौजूदा दौर में संस्कारों में कमी आ रही है। संस्कार कैसे बचे रह सकते हैं?
साध्वी: संस्कारों की शुरुआत घर से ही हो। मां बच्चे की पहली गुरु होती है। वह बच्चे को संस्कारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बच्चे के गर्भ से ही संस्कारों का बीज पड़ जाता हैं। शिविर एवं प्रवचन के दौरान संस्कारों के बारे में भी विशेष रूप से बताते हैं।
साध्वी: संस्कारों की शुरुआत घर से ही हो। मां बच्चे की पहली गुरु होती है। वह बच्चे को संस्कारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बच्चे के गर्भ से ही संस्कारों का बीज पड़ जाता हैं। शिविर एवं प्रवचन के दौरान संस्कारों के बारे में भी विशेष रूप से बताते हैं।
सवाल: आज छोटी उम्र में व्यक्ति कई बीमारियों से ग्रसित रहने लगा है। इसका क्या कारण है?
साध्वी: हमारा खान-पान बदल गया है। शुद्ध चीज ही नहीं मिल रही। हर चीज में मिलावट है। ऐसे में बदला खान-पान हमारी सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। हम तामसिक पदार्थों का सेवन अधिक करने लगे हैं। यदि हम सात्विक भोजन करेंगे तो हमें गुस्सा भी नहीं आएगा।
साध्वी: हमारा खान-पान बदल गया है। शुद्ध चीज ही नहीं मिल रही। हर चीज में मिलावट है। ऐसे में बदला खान-पान हमारी सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। हम तामसिक पदार्थों का सेवन अधिक करने लगे हैं। यदि हम सात्विक भोजन करेंगे तो हमें गुस्सा भी नहीं आएगा।
सवाल: आजकल दीक्षाएं अधिक होने लगी हैं, इसका क्या कारण हो सकता है?
साध्वी: दीक्षाएं अधिक होने का एक कारण मोहगर्भित है। किसी के मोह में आकर दीक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यानी किसी को देखकर दीक्षा ग्रहण कर लेते हैं। इसके साथ ही दुखगर्भित दीक्षाएं भी हो रही हैं। ज्ञानगर्भित दीक्षाएं बहुत कम हो रही हैं। साधु जीवन का पालन करना बहुत कठिन है। हालांकि साधु जीवन में भी कुछ शिथिलताएं आने लगी हैं।
साध्वी: दीक्षाएं अधिक होने का एक कारण मोहगर्भित है। किसी के मोह में आकर दीक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यानी किसी को देखकर दीक्षा ग्रहण कर लेते हैं। इसके साथ ही दुखगर्भित दीक्षाएं भी हो रही हैं। ज्ञानगर्भित दीक्षाएं बहुत कम हो रही हैं। साधु जीवन का पालन करना बहुत कठिन है। हालांकि साधु जीवन में भी कुछ शिथिलताएं आने लगी हैं।
सवाल: श्रावक-श्राविकाओं के लिए आपका क्या संदेश हैं?
साध्वी: जहां तक हो भगवान महावीर स्वामी के सिद्धांत हर इंसान अपने जीवन, परिवार, समाज एवं राष्ट्र के प्रचार-प्रसार में लगाएं। यदि इन बातों को जीवन में अपनाएं तो जीव का कल्याण संभव है।
साध्वी: जहां तक हो भगवान महावीर स्वामी के सिद्धांत हर इंसान अपने जीवन, परिवार, समाज एवं राष्ट्र के प्रचार-प्रसार में लगाएं। यदि इन बातों को जीवन में अपनाएं तो जीव का कल्याण संभव है।