डॉ. बेणगी ने कहा कि वाल्मी संस्था मौजूदा दौर में बेहतर कार्य कर रही है, जो किसानों और आमजन की प्रशंसा का पात्र बनी हुई है। संस्था ने राष्ट्र एवं अंतरराष्ट्रीय स्तरीय पुरस्कार प्राप्त किए हैं जो संस्था की महत्वपूर्ण उपलब्धी है। वाल्मी संस्था के निदेशक डॉ. राजेंद्र पोद्दार ने कार्यक्रम की अध्यक्षता कर कहा कि समूचे राष्ट्र में विविध राज्यों में कुल 16 वाल्मी संस्थाओं को वैज्ञानिक जल एवं भूमि प्रबंधन के लिए स्थापित किया गया है। वर्ष 1985 में राज्य के जल संसाधन विभाग के तहत स्थापित धारवाड़ की वाल्मी संस्था ने पिछले 35 सालों में समाज के लिए विशेष रूप से किसानों के लिए बेहतरीन सेवा दी है। आगामी दशकों में प्राकृतिक संसाधन जल एवं भूमि संरक्षण अत्यंत आवश्यक है।
जागरूकता कार्यक्रम आयोजित: उन्होंने कहा कि वाल्मी संस्था एक आंदोलन के रूप में जागरूकता कार्यक्रमों को आयोजित कर रही है। शिक्षा, प्रशिक्षण, अनुसंधान, प्रदर्शनी, तकनीकी चर्चा, क्षेत्र का दौरा, कार्यशाला, विचार गोष्ठी, संवाद, तकनीकी सहयोग, विज्ञप्तियों के जरिए भू-जल संरक्षण एवं प्रबंधन क्षमता वृद्धि में जुटी हुई है। किसानों, विद्यार्थियों आदि को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में संस्था में प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों की संख्या एवं गुणवत्ता में लगातार बढोत्तरी हुई है, जो संस्था की विशेष उपलब्धी है। संस्था की उपलब्धियों को अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। संस्था के प्रति कर्मचारियों की निष्ठा बेहद जरूरी है। सभी को अपने कार्यों से संबंधित आत्मावलोकन कर कार्य करना चाहिए। तभी मात्र संस्था अतिरिक्त उपलब्धी हासिल कर सकेगी।
कार्यक्रम में अमृत चरंतिमठ, पर्यावरणविद, वाल्मी संस्था के प्राध्यापक, अधिकारी एवं कर्मचारियों ने भाग लिया था। इस अवसर पर कोविड नियमों का कडाई से पालन किया गया था। वाल्मी संस्था के प्राध्यापक बसवराज बंडिवड्डर ने कार्यक्रम का संयोजन किया। सहायक प्राध्यापक प्रदीप देवरमनी ने संस्था की गतिविधियों की रिपोर्ट पेश की। सहायक अभियंता महादेवगौड़ा हुत्तनगौडर ने कार्यक्रम का संचालन किया। सहायक प्राध्यापक शैलजा एस. होसमठ ने आभार व्यक्त किया।