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गांव में सड़क नहीं, लकवाग्रस्त को कुर्सी पर बैठा कर पहुंचाया अस्पताल

locationहुबलीPublished: Mar 06, 2021 10:32:18 pm

Submitted by:

MAGAN DARMOLA

मूलभूत सुविधाओं को तरसता गांव : परिलबेणा के ग्रामीण सड़क के लिए तरस रहे हैं। सड़क नहीं होने से ग्रामीणों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी ही मुश्किलें तब आई जब यहां के एक वृद्ध अचानक लकवाग्रस्त हो गया। वृद्ध को अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रामीणों को कुर्सी का सहारा लेना पड़ा

गांव में सड़क नहीं, लकवाग्रस्त  को कुर्सी पर बैठा कर पहुंचाया अस्पताल

गांव में सड़क नहीं, लकवाग्रस्त को कुर्सी पर बैठा कर पहुंचाया अस्पताल

सिरसी-कारवार. उत्तर कन्नड़ जिले के अंकोला तालुक की हट्टकेरी ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले परिलबेणा के ग्रामीण सड़क के लिए तरस रहे हैं। सड़क नहीं होने से ग्रामीणों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
ऐसी ही मुश्किलें तब आई जब यहां के एक वृद्ध अचानक लकवाग्रस्त हो गया। वृद्ध को अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रामीणों को कुर्सी का सहारा लेना पड़ा। दरअसल परिलबेणा के रहने वाले ७० वर्षीय नोरापोड गौड़ा लकवा की चपेट में आ गए । उनको इलाज के लिए मंगलूरु ले जाना था।

सड़क नहीं होने की वजह से वन क्षेत्र में एंबुलेंस नहीं पहुंचती। ऐसे में परिवार के सदस्यों ने उनको कुर्सी पर बैठाकर अस्पताल पहुंचाना उचित समझा। गांव से पांच किलोमीटर दूर अंकालो के एक अस्पताल तक उनको कुर्सी पर बैठाकर ले जाया गया।

अंकोला में भी एंबुलेंस की व्यवस्था न होने के कारण निजी वाहन में मरीज को मंगलूरु ले गए। जिले के कई ग्रामीण क्षेत्र में सड़क व्यवस्था न होने के कारण एंबुलेंस कर्मी गांव में आने के लिए तैयार नहीं होते। परिलबेणा गांव में 11 मकान हैं। बिजली व्यवस्था हाल ही में उपलब्ध हुई है। हट्टिकेरी से परिलबेणा गांव पहुंचने के लिए 11 कि.मी. तक का मार्ग तय करना पड़ता है। विद्यार्थियों को स्कूल पहुंचने के लिए पांच कि.मी. की दूरी प्रतिदिन पैदल तय करना पड़ता है। बारिश के दिनों में यदि स्वास्थ्य खराब हो जाए तो गांव के लोगों को गांव में ही रहना पड़ता है।

मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल का सपना अधूरा

जिले में मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल बनने का सपना जो ग्रामीणों ने देखा था अभी तक पूर्ण होता नहीं दिख रहा है। लोक प्रतिनिधि हर बार झूठी तसल्ली दिलाने के अतिरिक्त कुछ नहीं कर रहे हैं। प्रबंधन की व्यवस्था के अभाव के चलते 25 में से मात्र 4 एंबुलेंस ही ठीक हैं। जोयडा, यल्लापुर, अंकोला, करवार के अधिकांश गांवों में एम्बुलेंस है ही नहीं। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग ग्रामीण जनता कर रही है।

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