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पालना घर में रहकर पढ़ाई करेंगे कचरा बीनने वाले बच्चे

locationहुबलीPublished: Mar 08, 2021 09:46:25 pm

Submitted by:

MAGAN DARMOLA

प्लास्टिक फॉर चेंज इंडिया फाउंडेशन की पहल, कचरा बीनने वाले तीन से छह वर्ष के बच्चों के लिए फाउंडेशन की ओर से पालना घर शुरू कर पढ़ाई के साथ गैर पाठ्यक्रम गतिविधियों में जोड़ा जा रहा है।

पालना घर में रहकर पढ़ाई करेंगे कचरा बीनने वाले बच्चे

पालना घर में रहकर पढ़ाई करेंगे कचरा बीनने वाले बच्चे

हुब्बल्ली. सूर्योदय से पहले ही कंधों पर फटी बोरियों को लेकर कचरा बीनने जाने वाले बच्चों का बस एक ही सपना रहता है कि आज पेटभर भोजन मिल जाए। इनके लिए नालियां, कूड़ादान, कचरे के ढ़ेर ही खेल मैदान हैं। इन बच्चों में प्लास्टिक फॉर चेंज इंडिया फाउंडेशन ने शिक्षा का सपना जगाया है।

दिन भर घूमने वाले यहां के लोगों के लिए अपने बच्चों को पढ़ाना दूर की कौड़ी है। धारवाड़ के श्रीरामनगर वाल्मीकि कॉलोनी स्थित कचरा बीनने वाले तीन से छह वर्ष के बच्चों के लिए फाउंडेशन की ओर से पालना घर शुरू कर पढ़ाई के साथ गैर पाठ्यक्रम गतिविधियों में जोड़ा जा रहा है।

महिला कल्याण संस्था पीएफसी योजना की संयोजक सुरेखा पाटील का कहना है कि निजी परामर्श कर बेहद गरीबी का सामना कर रहे, कुपोषण पीडि़तों को संस्था की ओर से ही पौष्टिक आहार, फल आदि उपलब्ध किए जा रहे हैं। परिवार की स्थिति सुधार कर बच्चों को स्कूल में भर्ती कराया जा रहा है। इनकी पढ़ाई की पूरी जिम्मेदारी संस्था ही उठा रही है। कच्ची बस्तियों में बेहद गरीबी का सामना कर रहे परिवारों को आर्थिक, सामाजिक मदद, मुख्य धारा में लाने के उद्देश्य से संस्था की स्थापना की गई है। अगस्त 2020 से हुब्बल्ली-धारवाड़ में बेलगावी की वूमेन वेलफेयर सोसायटी के सहयोग में कार्य कर रही है।

561 परिवारों के 557 बच्चों की मदद

आधार कार्ड, बैंक खाता खोलकर बचत के बारे में शिक्षा, स्वास्थ्य शिविर, कुपोषण से पीडि़त बच्चों को विशेष देखरेख, स्कॉलरशिप देने के साथ इनकी मदद की जा रही है। हुब्बल्ली-धारवाड़ जुड़वां शहर के 17 कच्ची बस्तियों का सर्वे कर लगभग 561 परिवारों के 557 बच्चों की मदद की जा रही है। वर्ष 2015 में शुरू हुए फाउण्डेशन ने बेंगलूरु, मेंगलूरु, कारवार, उडुपी तथा हुब्बल्ली-धारवाड़ में गतिविधियां कर रहा है।
चंदन एमसी, संस्थापक, प्लास्टिक फॉर चेंज इंडिया फाउण्डन

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