स्नेह, सद्भाव और सहयोग से होती है प्रगति[typography_font:14pt;” >इलकल/सोलापुरजिस किसी भी संघ, संस्थान, परिवार या समाज में स्नेह, सद्भाव और सहयोग होता है, वह प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है। यह बात सोलापुर में चार्तुमास के लिए विराजित जैनसंत उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कही। वे श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन श्रीसंघ की ओर से गुरु आनन्द कमल कन्हैया सभागार में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आपसी स्नेह होने पर ही आपसी संबंध मधुर रहते हैं और सभी जगह प्रेम की गंगा बहती रहती हैं। स्नेह या प्रेम होने से ही रिश्तों में आपसी तालमेल और समन्वय रहता है, जिस कारण सभी सुख व दुख में साथ निभाते हैं। स्नेह की महिमा अपरमपार है और जहां स्नेह या प्रेम का वास होता है वहां सब तरह की अभिवृद्धि होकर खुशहाल जीवन बनता है। दीप प्रज्वलित करने के लिए भी स्नेह का होना जरूरी है। इसलिए सभी के प्रति सद्भाव रखना चाहिए। ईष्र्या या द्वेष से सबसे पहले खुद का ही बुरा होता है। किसी भी संघ, संस्थान, समाज और परिवार के सदस्यों के बीच सद्भाव होगा तो वे लोग विकास करेंगे और उनकी प्रतिष्ठा में भी चार चांद लगे रहेंगे। किसी भी व्यक्ति का विरोध किए बिना सभी को आपस में सहयोग करना चाहिए। गौतम मुनि ने कहा कि आकांक्षा की कोई अंतिम सीमा नहीं है। आकांक्षाओं का कितना ही पीछा किया जाए वे कभी पूरी नहीं होती। दुनियाभर की धन-संपदा और सारे भौतिक साधन होने के बावजूद भी मन को तृप्ति या संतोष नहीं मिलता है। अधिक संग्रह करने की इच्छा व लालसा सदा बनी रहती है। गुरुवार को इलकल जैन समाज के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार सज्जनराज मेहता ने संतों के साथ चर्चा की। संत विनयमुनि ने बताया कि सोलापुर का चातुर्मास काफी सफल रहा।