बलात्कारियों को मिले फांसी की सजा[typography_font:14pt;” >हुब्बल्लीलोकायुक्त पद से सेवानिवृत्त न्यायाधीश संतोष हेगडे ने कहा कि हैदराबाद की पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर हत्या करने वाले दुष्कर्मियों को फांसी की सजा होनी ही चाहिए। बागलकोट जिले के हुनगुंद तालुक में अधिवक्ता संघ की ओर से आयोजित अधिवक्ता दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन कर संतोष हेगडे ने कहा कि दुष्कर्मियों को फांसी की सजा के अलावा दूसरी कोई सभी भी सही नहीं है। फिर भी कई बार मानवीय अधिकार पर फांसी की सजा के खिलाफ पैरवी करते हैं। यह बिना मानवता का क्रूर कृत्य है। इसलिए ऐसी घटना होने पर फांसी की सजा ही होनी चाहिए। इसमें देरी नहीं होनी चाहिए। शीघ्र फैसला सुनाना चाहिए। देर होने पर इसकी प्रमुखता जाती है। डीके शिवकुमार को दुबारा प्रवर्तन निदेशालय की ओर से नोटिस दिए जाने के बारे में संतोष हेगडे ने कहा कि सुनवाई के लिए बुलाने पर जाना ही चाहिए। इसे राजनीतिक षडय़ंत्र कहना सही नहीं है। प्रवर्तन निदेशालय का आदेश नोटिस के अनुसार होना चाहिए। गलत करने के आरोप पर यह सारी प्रक्रियाएं चलती हैं। इसी दौरान भाजपा से प्रवर्तन निदेशालय स्वायत्त संस्था के दुरुपयोग का कांग्रेस की ओर से लगाए जा रहे आरोप पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए हेगडे ने कहा कि दोनों एक ही तो हैं। इनके बारे में वे कहते हैं तो आपने क्या नहीं किया ऐसे ये कहते हैं। राम मंदिर के ऐतिहासिक फैसले पर हेगडे ने कहा कि यह सही है या गलत इस पर परामर्श करने नहीं जाऊंगा। यह देश की शांति के लिए दिया गया फैसला है। इस पर हमें अमल करना ही चाहिए। प्रदर्शन भी नहीं, खुशी भी नहीं। उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर कर रहे हैं। कुछ लोगों को यहां शांति नहीं चाहिए। पुनर विचार याचिका दायर करने वालों के धर्म वाले ही कुछ लोगों ने याचिका दायर नहीं करेंगे कह रहे हैं। देश ंमें शांति कायम रखने की दृष्टि से इन सब को भूल देना चाहिए। हमारा मानना है कि धर्म के के मुद्दे पर अदालत वालों का फैसला सुनाना उचित नहीं है। किसी की भी निजी जमीन नहीं गई है। फैसले को मान्यता देना है। इसके अलावा जेल जाकर जमानत पर आने वालों को फूलमाला पहनाकर खुशी मनाना गलत है।