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कम वेतन मिलने से संविदा पर कार्यरत नर्सों में नाराजगी

12 साल से मिल रहा 10 हजार वेतन

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कम वेतन मिलने से संविदा पर कार्यरत नर्सों में नाराजगी

कम वेतन मिलने से संविदा पर कार्यरत नर्सों में नाराजगी

हुब्बल्ली. कोरोना महामारी के खिलाफ संघर्ष में चिकित्सकों जितनी ही मेहनत, मरीजों की जान बचाने में नर्स की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

कोविड-19 नियंत्रण के साथ संक्रमितों का इलाज तथा देखभाल में भी जुटे नर्स के मुद्दे पर सरकार दोहरी नीति अपना रही है।

बेलगावी चिकित्सा विज्ञान संस्था (बिम्स) में 12 वर्षों से संविदा के आधार पर कार्यरत 35 नर्सें केवल दस हजार रुपए वेतन में कार्य कर रहे हैं।

हुब्बल्ली के किम्स, बेंगलूरु के बोरिंग तथा लेडी कर्जन अस्पताल, शिवमोग्गा चिकित्सा विज्ञान संस्था में मासिक 33,350 रुपए वेतन दिया जा रहा है परन्तु यहां मात्र दस हजार रुपए वेतन दिया जा रहा है।


संशोधित नहीं हुआ वेतन
राज्य के विभिन्न जगहों पर चिकित्सा विज्ञान संस्थाओं में संविधा के आधार पर नर्स को पूर्व में मासिक दस हजार रुपए वेतन दिया जा रहा था।

वेतन में बढ़ोतरी की मांग को लेकर 2019 में कर्मचारियों के आंदोलन करने से वेतन में संशोधन को मंजूरी दी गई परन्तु बिम्स में अब तक वेतन संशोधन नहीं किया।

सरकार के आदेश जारी कर आठ माह बीतने के बाद भी नर्सों को मासिक पांच हजार रुपए कोविड प्रोत्साहन राशि (कोविड जोखिम प्रोत्साहन राशि) नहीं मिली।

कागजों में ही आदेश सीमित करने के सरकार के रुख से नाराज नर्सेें कोरोना की दूसरी लहर के बीच आंदोलन की तैयारी कर रही हैं।

दूसरी ओर कोविड मरीजों का इलाज कर रहे नर्स के कोविड की चपेट में आने से मृत्यु होने पर उनके परिजनों को दी जाने वाली तीस लाख रुपए बीमा राशि भी नहीं दी जा रही है।

केंद्र सरकार ने कोविड से मरने वाले नर्सिंग कर्मचारी के परिजनों को 50 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की थी।

इसी तरह राज्य सरकार ने 30 लाख रुपए देने का आदेश जारी किया परन्तु अब तक एक भी नर्स के परिजनों को यह सुविधा नहीं मिली।