साध्वी नम्रज्योति ने कहा कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में ही जन्मता और समाज में ही रहता, पनपता और अन्त तक उसी में रहता है। अपने परिवार, सम्बन्धियों और पास-पड़ोस वालों तथा अपने कार्यक्षेत्र में वह विभिन्न प्रकार के स्वभाव वाले व्यक्तियों के सम्पर्क में आता है। निरन्तर सम्पर्क के कारण एक-दूसरे का प्रभाव एक-दूसरे के विचारों और व्यवहार पर पड़ते रहना स्वाभाविक है। बुरे आदमियों के सम्पर्क में हमारे अंदर बुरे संस्कार पड़ते हैं और अच्छे आदमियों के सम्पर्क में आकर हममें गुणों का समावेश होता चला जाता है।
उन्होंने कहा कि सत्संगति का अर्थ है अच्छे आदमियों की संगति, गुणी जनों का साथ। अच्छे मनुष्य का अर्थ है वे व्यक्ति जिनका आचरण अच्छा है, जो सदा श्रेष्ठ गुणों को धारण करते और अपने सम्पर्क में आने वाले व्यक्तियों के प्रति अच्छा बर्ताव करते हैं। इस अवसर पर रणजीत गुरुजी संघ के समिति सदस्य गौतमचंद कवाड़, मनोज पोरवाल, मीना भंसाली, अनिता ओसवाल, कमलाबाई गादिया, प्रेक्षा भंसाली, संगीता दातेवाडिया, विधि भंसाली समेत कई सदस्य उपस्थित थे।