मेडिकल स्टुडेंट्स के अध्ययन के लिए लाशों की कमीहुब्बल्लीदेहदानियों के अपनी मृत्यु बाद देहदान करने का वादा, पंजीयन करने के बाद भी ऐसों की लाश को प्राप्त करने में कोविड बाधा बना है। देहदानियों की मृत्यु के बाद लाश चिकित्सा महाविद्यालय (किम्स) को आने के बजाए मिट्टी में जा रही है। आगामी दिनों में विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए लाशों की कमी पेश आएगी।कोरोना संक्रमण के फैलने के कारण लाश को जलाने या फिर दफनाने के बारे में सरकार के दिशा निर्देशों में बताया गया है। देह या फिर अंगदान के लिए अब मौका नहीं रहा है।कोविड पूर्व में किम्स में प्रतिवर्ष 25 देहदानियों से पंजीयन हुआ करने के बाद भी कॉलेज को मात्र 10-12 शव मिलते थे। बेलगावी जिले में वार्षिक 35 से 40 शव मिलते थे। दानियों के कोविड से मृत्यु होने पर ऐसों का शव नहीं लिया जा रहा है। सामान्य मृत्यु होने पर भी ऐसों के शव को चिकित्सा छात्रों के हितों के चलते पोस्टडेथ कोविड टेस्ट के बाद ही स्वीकार करना चाहिए। डेढ़ वर्ष में पंजीयन भी घटा है।आगामी दिनों में होगी कमीव्यक्ति की मृत्यु के बाद पांच घंटों में देह प्राप्त कर इसे संरक्षित करने की प्रक्रिया करना अनिवार्य है। पांच घंटे के भीतर पोस्ट डेथ कोविड टेस्ट रिपोर्ट उपलब्ध होने पर तुरन्त स्वीकार कर सकते हैं। फिलहाल चिकित्सा छात्रों के प्रायोगिक अध्ययन के लिए देहों की कमी नहीं होने पर भी आगामी दिनों में कमी होगी।–डॉ. राजेश्वरी येलिगार, शारीरिक विज्ञान विभाग प्रमुख, किम्सआरटी-पीसीआर करना जरूरीकोरोना संक्रमितों का पोस्टमार्टम नहीं करने के निर्देश हैं। अन्य समस्याओं से मृत्यु होने वालों का आरटी-पीसीआर करना चाहिए परन्तु रिपोर्ट आने में तीन दिन लगते हैं। संदेह होने से देह स्वीकार नहीं कर रहे हैं। 52 से 54 देहदानियों की लाशें स्वीकार करना संभव नहीं हो पाया है।-डॉ. महांतेश रामण्णवर, ट्रस्टी, डॉ. रामण्णवर चैरिटेबल ट्रस्ट, बैलहोंगलपोस्ट डेथ कोविड टेस्ट के बाद ही स्वीकारगदग चिकित्सा विज्ञान संस्था (जिम्स) तथा डीजीएम आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज में वादा करने वालों से लाशों को पोस्ट डेथ कोविड टेस्ट प्रक्रिया करने के बाद ही स्वीकार किया जा रहा है।-[typography_font:14pt;” >डॉ. पीएस भूसरेड्डी, निदेशक, जिम्स