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साध्वी मंगलज्योति के दर्शनार्थ हुब्बल्ली और भद्रावती से पहुंचे श्रावक-श्राविकाएं

हमारे जीवन में सम्यक दर्शन का बहुत महत्व

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यदि हम धर्म को धारण करेंगे तो हम आत्मा से परमात्मा की तरह प्रवृत्त हो सकेंगे। यदि हम धर्म करेंगे तो आत्मा भी खास बन जाएंगी। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ चातुर्मास समिति के तत्वावधान में यहां शिवमोग्गा (कर्नाटक) स्थानक भवन में चल रहे चातुर्मास के दौरान साध्वियों ने यह बात कही। साध्वी मंगल ज्योति, साध्वी विकास ज्योति, साध्वी ऋजु प्रज्ञा, साध्वी नैतिकश्री एवं साध्वी मौलिकश्री के चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान विभिन्न स्थानों से रोजाना श्रावक-श्राविकाएं दर्शन-वंदन के लिए पहुंच रहे हैं। हुब्बल्ली से आए वरिष्ठ श्रावक छगनलाल भूरट ने हुब्बल्ली संघ की ओर से विनती करते हुए चातुर्मास के बाद हुब्बल्ली पधारने की विनती की। भद्रावती से भी बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं पहुंचे और विनती की। भद्रावती महिला मंडल की अध्यक्ष ने गीतिका प्रस्तुत की।

जीव की हिंसा नहीं करें
इस अवसर पर चातुर्मासिक प्रवचन देते हुए साध्वियों ने कहा कि जिस तरह से फूल कोमल एवं सुगंधित होता है, ठीक उसी तरह से हमारा धर्म भी फूलों की तरह कोमल होना चाहिए। हमें अहिंसा परमो धरम को चरितार्थ करते हुए किसी जीव की हिंसा नहीं करनी चाहिए। हमें धर्म से हमारी आत्मा को जोडऩा है। यदि हम धन के प्रति मोह भाव रखेंगे तो आत्मा को मोक्ष मिलने वाला नहीं है। धर्म-ध्यान कराने के लिए ही चातुर्मास कराते हैं। जिस तरह से धन कमाने की उम्र हैं, उसी समय धर्म भी कमाना चाहिए। चातुर्मास पूर्णता की ओर है।

आगामी कार्यक्रमों की जानकारी
उन्होंने कहा कि जो भगवान ने बताया हैं उसके विपरित आचरण ही मिथ्यात्व है। हमारे जीवन में सम्यक दर्शन का बहुत महत्व है। जिस तरह से फूल एक होता है और उसके साथ कांटे अनेक होते हैं। उसी तरह से कुछ मनुष्य फूल के जैसे हैं तो कुछ कांटों के सरीखे होते हैं। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ चातुर्मास समिति के अध्यक्ष वी. घेवरचन्द बोहरा ने चातुर्मास के आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दी।