कोविड-19 को लेकर सतर्कता
जिला अस्पताल के चिकित्सक का कहना है कि कोविड-19 वायरस का भय बढऩे के चलते आम तौर पर खांसी, जुकाम, बुखार आने पर भी लोग जिला अस्पताल को दौड़ रहे हैं। इस बीमारी के साथ सांस लेने में बहुत समस्या होने पर मात्र वह कोरोना बीमारी के लक्षण है कहकर जागरुकता पहुंचाने पर भी मरीजों का जिला अस्पताल आना रुक नहीं रहा है। जिले में अब तक कोरोना वायरस नजर नहीं आया है, अगर नजर आने पर ऐसे व्यक्तियों के इलाज के लिए सरकारी अस्पताल में एक मीटर अंतर पर कुल छह बेड के पृथक कमरे को तैयार किया गया है। इसके लिए दो चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. सीएस जगली तथा डॉ. गिरीश संगम तथा विभिन्न कर्मचारियों को तैयार किया गया है। चिकित्सक, कर्मचारियों ने मरीजों के इलाज, देखरेख के लिए पृथक प्रशिक्षण प्राप्त किया है।11 जांच नमूने नेगेटिव
कोविड-19 वायरस संदिग्धों के इलाज के लिए दस बिस्तर के पृथक विभाग को आरम्भ किया गया है। 11 जनों का इलाज किया गया है। गुरुवार को दो जनों के बलगम तथा खून को जांच के लिए भेजा था इनकी भी रिपोर्ट नेगेटिव आई है। अब तक कुल 11 जनों की जांच रिपोर्ट आई ही किसी में भी वायरस नहीं पाया है।निजी सेवा बंद
लॉकडाउन की घोषणा से पहले ही कोविड-19 के भय से कुछ निजी चिकित्सकों ने बाहरी मरीजों के विभाग को बंद किया था। अब लॉकडाउन की घोषणा के बाद जिले के 865 से अधिक अस्पताल, क्लिनिक बंद हुए हैं। आपात मौकों, भीतरी मरीजों का मात्र इलाज किया जा रहा है। इसके चलते लोग सरकारी अस्पतालों की ओर जा रहे हैं।इनका कहना है
कोविड-19 वायरस के चलते आमतौर पर खांसी, जुकाम, बुखार नजर आने पर भी जिला अस्पताल आने की जरूरत नहीं है। इन बीमारियों के साथ सांस में तकलीफ होने पर मात्र तुपन्त इलाज के लिए भर्ती होना चाहिए। ऐसे आपात मौके पर भी हमारे चिकित्सक सभी प्रकार की सेवा उपलब्ध कर रहे हैं। कुछ शल्य चिकित्साओं को अनिवार्य तौर पर स्थगित किया है।
–डॉ. प्रकाश बिरादार, जिला शल्य चिकित्सक, बागलकोट