बोम्माई के सीएम बनने पर भाजपा के कुछ नेता नाराज[typography_font:14pt;” >हुब्बल्लीजनता परिवार से आने वालों को सरकार व पार्टी में विशेष तवज्जो मिलने से भाजपा व संघ के समर्पित कार्यकत्र्ताओं में रोष फैल रहा है। पूर्व मंत्री एचडी रेवण्णा के बयान ने संघ परिवार की पृष्ठभूमि वाले कुछ भाजपा नेताओं को शर्मिंदा किया है।रेवण्णा के बयान देने तक बसवराज बोम्माई बाहर वाले हैं, यह सोच नहीं थी। जद-एस नेताओं के इस प्रकार बयान देने से संघ परिवार वालों को अपने हाथ आई सत्ता को जनता परिवार मूल वालों के हाथों में चले जाने की भावना सता रही है।बोम्माई के मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार दिल्ली दौरे पर जाने के दौरान मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल सीटी रवि तथा अरविंद बेल्लद भी दिल्ली में ही थे परन्तु सीटी रवि ने एक बार भी मुख्यमंत्री से मुलाकात करने की कोशिश नहीं की। सदा पार्टी अनुशासन का जाप जपने वाले सीटी रवि ने अपने ही पार्टी के मुख्यमंत्री से औपचारिक तौर पर मुलाकात नहीं की, जो उनकी नाराजगी को दर्शाता है।वहीं बीएस येडियूरप्पा के इस्तीफे के बाद आलाकमान की ओर से मूल भाजपाई, पार्टी गठन कर विकसित करने वाले तथा संघ परिवार से आने वालों को आगामी मुख्यमंत्री बनाने की सभी को उम्मीद थी।बोम्माई जनता परिवार छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। जनता परिवार से आए बोम्माई को तरजीह देने के इस कदम ने कईयों को हैरत में डाला है। इनके पिता एसआर बोम्माई ने जनता परिवार से ही नौ माह बतौर मुख्यमंत्री सत्ता चलाई थी। जनता परिवार से भाजपा में आए बसवराज बोम्माई ने कभी भी संघ के हिन्दुत्व की सोच को खुले तौर पर नहीं अपनाया है। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान बहुत सारे मुसलमान राजभवन आए थे, जो इसका सबूत है।येडियूरप्पा के इस्तीफे के बाद हिन्दुत्व के पैरोकारों को तरजीह देने की सोच आलाकमान की थी। इसी कारण बीएल संतोष, प्रहलाद जोशी का नाम अग्रिम पंक्ति में आया था परन्तु आखिरी पल में जनता परिवार के बसवराज बोम्माई चयनित हुए।बसवराज बोम्माई के मुख्यमंत्री बनने के बाद मूल बनाम बाहरी की बहस शुरू हो गई है। वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव के दौरान बाहर वाले तथा भीतर वाले की आवाज सुनाई दी थी, इसके बाद 2019 में मूल तथा दलबदलू को लेकर बहस हुई थी। अब पार्टी के निष्टावान कार्यकर्ताओं को छोड़कर बाहर से आने वालों को अहम पद देने, आरएसएस के आदर्श-सिध्दांतों पर प्रतिबध्द रहने वाले मूल भाजपाईयों की नाराजगी का कारण बना है।सार्वजनिक क्षेत्र में इस प्रकार की चर्चा चल रही है, सामूहिक संदेश एप्लीकेशन पार्टी के निष्टावानों की नाराजगी को प्रसारित करने के माध्यम बन रहे हैं। नव नियुक्त मुख्यमंत्री बसवराज बोम्माई जनता परिवार से आए हैं, येडियूरप्पा के कार्यकाल में उपमुख्यमंत्री रहे लक्ष्मण सवदी तथा गोविंद कारजोल भी जनता परिवार से आने के ढेरों संदेश वाट्सएप पर फैल रहे हैं। जनता परिवार के नेता धीरे-धीरे संघ परिवार के नेताओं को पार्टी से बाहर कर रहे हैं कहकर संदेश वायरल किए जा रहे हैं।संघ परिवार की पृष्ठभूमि से आने वाले येडियूरप्पा की सरकार में उद्योग मंत्री रहे पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर ने साफ कहा है कि वे बोम्माई के मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होंगे, उनकी भी मर्यादा है, आत्मसम्मान है, बोम्माई से वे वरिष्ठ हैं।येडियूरप्पा से गद्दी छोडऩे के लिए खास तौर पर कोशिश करने वाले बसनगौड़ा पाटील यत्नाल ने सीधे तौर पर बोम्माई को अपने जिले का मंत्री पद नहीं देने पर इसका असर आगामी दिनों में समझ में आने का सख्त संदेश दिया है। उन्हें मुख्यमंत्री बनने के मौके को येडियूरप्पा के षडय़ंत्र से छूट गया।भाजपा के वरिष्ठ नेता केएस ईश्वरप्पा ने उपमुख्यमंत्री या फिर मंत्री बनने की इच्छा को साफ तौर पर व्यक्त किया है। मूल भाजपा के अनेक नेताओं ने पार्टी संगठित करने के कारण मंत्री बनने की इच्छा जाहिर की है। उमेश कत्ती, वी. सोमण्णा जैसे वरिष्ठ नेता भी मंत्रिमंडल में शामिल होने की इच्छा जता रहे हैं।भाजपा में उपजी बहस के कारण मुख्यमंत्री बसवराज बोम्माई के सामने कई चुनौतियां पेश आएंगी। उनकी राह आसान नहीं होगी।