24 हजार श्लोकों के जरिए संदेश दिया
उन्होंने कहा कि राजशाही, प्रशासन, कल्याण राज्य की कल्पना हमें रामायण के जरिए मिली है। महर्षि वाल्मीकि ने 24 हजार श्लोकों के जरिए संदेश दिया है। जाति, मत, पंथों से ऊपर उठकर गुणों के महत्व को पहली बार संचालित करने वाले महर्षि वाल्मीकि हैं। राम को उच्च गुण उपलब्ध कर उसे पूजनीय स्थान दिया। पूरी जति व्यवस्था के विरुध्द गुण को महत्व दिया। त्रेतायुग से अब तक दस हजार वर्ष बाद भी हम सभी रामायण तथा वाल्मीकि को याद कर रहे हैं यह उसकी प्राथमिकता का सबूत है।सभी के लिए पूजनीय
विधान परिषद सदस्य बसवराज होरट्टी ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि जैसे महान व्यक्ति युगों में एक जन्म लेते हैं। प्राचीन युग में 24 हजार श्लोकों को मोर पंख से लिखना आम बात नहीं है। रामायण के जरिए प्रेम, विश्वास, आपसी विश्वास, सद्गुणों को सीखना सम्भव हुआ है। विद्यार्थियों, युवाओं को ऐसे महापुरुषों के आदर्शों को समझकर आत्मसात करना चाहिए। महर्षि वाल्मीकि केवल एक समुदाय के लिए सीमित नहीं हैं, वे सभी के लिए पूजनीय हैं।इनका किया सम्मान
इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करने वाले वाल्मीकि समाज के बी. मारुति, तिम्मण्णा एस क्वाटिहल्ली, सुरेश बाबु तलवार, हनुमंतप्पा दोड्डमनी तथा अरविंद दोड्डमनी का सम्मान किया गया।