रामायण के प्रसंगों का मंचन
हुबलीPublished: Dec 08, 2020 11:46:15 pm
रामायण के प्रसंगों का मंचन
रामायण के प्रसंगों का मंचन
रामायण के प्रसंगों का मंचन
-गीत-संगीत सप्ताह कार्यक्रम का उद्घाटन
सिरसी-कारवार
श्री क्षेत्र स्वर्णवल्ली महासंस्थान के मठ प्रमुख गंगाधरेन्द्र सरस्वती स्वामी ने कहा है कि रामायण के अनेक प्रसंगों को गीत-संगीत के माध्यम से मंच पर प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। वे सिरसी तालुक के मुंडगेसर के गणपति मंदिर में आयोजित गीत-संगीत सप्ताह कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान बोल रहे थे। कार्यक्रम यक्षशाल्मला, कन्नड व संस्कृति विभाग, शबर सोदा, विश्वशांति सेवा संस्थान के सहयोग से आयोजित किया गया। गंगाधरेन्द्र सरस्वती स्वामी ने कहा कि यह मान्यता है कि उत्तररामायाण वाल्मीकि रामायण में नहीं है। योग वशिष्ठ (वशिष्ठ रामायण) का अध्ययन किया गया है। यह पूर्व रामायण है इसमे वैराग्य के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। वशिष्ठ के बोध से राम जीवनमुक्त होता है। जीवन मुक्त का तात्पर्य जीवित रहते मुक्त होना है। उन्होंने कहा कि कोरोना की वजह से यक्षगान सहित अन्य देसी कला को काफी नुकसान हुआ है। कई कलाकारों का जीवन आज दुश्वार हो चुका है। यक्षगान के कई कलाकारों का स्वर्गवास हो चुका है। उन्होंने रामायण के
बारे में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया। लक्ष्मेश तोलवाडी ने कहा कि हमारी संस्कृति के बारे में कई रहस्यों को उजागर करने में रामायण व महाभारत की भूमिका अहम रही है। उन्होंने कहा कि ऋषि-मुनियों की वाणी कभी व्यर्थ नहीं जाती। रामायण जैसे महाकाव्य से हमें बडा सबक लेना चाहिए राम को ज्ञात है कि वह भगवान है परंतु उसका व्यवहार मनुष्यों की तरह ही होता है जैसे उसे अपने भगवान होने संबधित जानकारी न हो। कार्यक्रम के अवसर पर
सांसद अनंतकुमार हेगड़े, वी उमाकांत भट्ट करेकै आर.एस. भैरुंबे सहित कई उपस्थित थे। अतिथियों का स्वागत नागराज जोशी ने किया। कार्यक्रम का संचालन राघवेंद्र बेट्कोप्पा ने किया।