वर्ष २०३० में ब्राजील की तर्ज पर स्थापित होंगे शक्कर कारखाने[typography_font:14pt;” >धारवाड़-हुब्बल्लीभारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (वाणिज्य फसल) के सहायक महानिदेशक डॉ. आर.के. सिंह ने कहा है कि केन्द्र सरकार ने नई शक्कर नीति लागू की है जिसके तहत वर्ष 2030 में देश में ब्राजील की तर्ज पर शक्कर कारखाने खोलने का लक्ष्य रखा गया है। वे धारवाड़ के कृषि विश्वविद्यालय में भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्था (आईआईएसआर) तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय वार्षिक सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ग्लोबल मार्केट में शक्कर के दाम बढऩे पर शक्कर उत्पादन करना और अगर दाम घटें तो एथनाल उद्पादन कर आय कमाना ही इस तकनीक का उद्देश्य है। देश में फिलहाल 50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ना उत्पादन किया जा रहा है। इससे करीब 38 0 मिलियन टन शक्कर उत्पादित की जा रही है। गन्ना उत्पादन क्षेत्र में तीन गुना वृद्धि तथा पैदावार में 8 गुना बढोतरी के चलते वर्ष 2030 तक निर्धारित लक्ष्य वर्ष 2019 में ही पूरा हो गया है। डॉ. सिंह ने कहा कि नई नीति के अंतर्गत पहले की तरह मोलासस से एथनाल उत्पादन के बजाय गन्ने के रस से ही सीधे उत्पादन की तकनीक अपनाई जाएगी। फिलहाल भारत 8 .1 लाख करोड़ रुपए मूल्य के 220.6 मिलियन टन कच्चे तेल का आयात कर रहा है। एथनाल उत्पादन में वृद्धि के चलते ईंधन आयात पर का बोझ घटेगा। पेट्रोल में 30 प्रतिशत एथनाल मिलाकर इस्तेमाल करने पर 70 प्रतिशत कच्चा तेल आयात खर्च बचेगा। उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के लिए मौसम में बदलाव, दक्षिण भारत में असमय बारिश का सामना करने की चुनौती है। वर्ष 2030 तक वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री और बढऩे की आशंका है। इसके चलते कम पानी का उपयोग कर अधिक पैदावार देने वाली फसलों की किस्मों को विकसित करने की आवश्यकता है। साथ में भूमि को उर्वर बनाए रखने के लिए कम दामों में जैबिक खाद एवं जैव कीटनाशक उपलब्ध करने की जरूरत है। कृषि विश्वविद्यालय धारवाड़ के कुलपति डॉ. एम.बी. चेट्टी ने समारोह की अध्यक्षता की। प्राध्यापक डॉ. ए.डी. पाठक, डॉ. बख्शीराम, प्रफुल्ल शिरगांवकर आदि उपस्थित थे।