scriptउस्तादों का हाल बेहाल, जीवन-यापन हुआ मुश्किल | The condition of the masters is bad, life becomes difficult | Patrika News

उस्तादों का हाल बेहाल, जीवन-यापन हुआ मुश्किल

locationहुबलीPublished: Jul 22, 2021 10:05:53 am

Submitted by:

Zakir Pattankudi

उस्तादों का हाल बेहाल, जीवन-यापन हुआ मुश्किल-कोरोना से प्रभावित हुई कुश्ती की गतिविधियांहुब्बल्ली

उस्तादों का हाल बेहाल, जीवन-यापन हुआ मुश्किल

उस्तादों का हाल बेहाल, जीवन-यापन हुआ मुश्किल

प्रतियोगिताएं भी नहीं और रकम भी नहीं

सुडुगाडु सिध्द समूह के शंकर ने जिद नहीं छोड़ी, अपनी जमीन पर ही कुश्ती सिखा रहे थे। खुद के पैसों से नन्हें पहलवानों को सप्ताह में एक दिन दूध, मीठी सूजी देते थे। प्रतियोगिताओं के आयोजन होने पर उन्हें थोड़ी रकम मिलती थी। अब प्रतियोगिताएं भी नहीं हैं और रकम भी नहीं मिल रही है।

राशि खर्च करने की ताकत नहीं रही

खुले मैदान में दंगल आयोजित करने पर थोड़ा पैसा मिलता था। राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक जीतने की क्षमता हासिल करने के लिए पहलवानों को तैयार करना तथा भोजन के लिए न्यूनतम 500 से 600 रुपए खर्च होता है। इतनी राशि खर्च करने की ताकत मौजूदा हालात में किसी के पास नहीं है। प्रतियोगिताएं नहीं चल रही हैं।
शंकर, प्रशिक्षक

फिटनेस के लिए करना है अभ्यास

कोविड के कारण कुश्ती प्रतियोगिताएं नहीं चल रही हैं। कुश्ती के खिलाडिय़ों को पहले वैक्सीन लगवानी चाहिए। फिलहाल फिटनेस के लिए अभ्यास करना चाहिए।
श्रीनिवास शास्त्री, मानद अध्यक्ष, जिला कुश्ती संघ

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