scriptवस्त्रोद्योग शृंखला इस साल भी संकट में | The textile chain is also in trouble this year | Patrika News

वस्त्रोद्योग शृंखला इस साल भी संकट में

locationहुबलीPublished: Jul 23, 2021 02:58:12 pm

Submitted by:

S F Munshi

वस्त्रोद्योग शृंखला इस साल भी संकट में

वस्त्रोद्योग शृंखला इस साल भी संकट में

वस्त्रोद्योग शृंखला इस साल भी संकट में

वस्त्रोद्योग शृंखला इस साल भी संकट में
-कपास की कृत्रिम किल्लत
कोल्हापुर
देश में खेती के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला वस्त्रोद्योग संकट से गुजर रहा है। केंद्र, राज्य सरकार को अलग-अलग कर के जरिए बड़ा महसूल देने वाले वस्त्रोद्योग की शृंखला कुछ चुनिंदा कपास व्यापारी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने की कपास की कृत्रिम किल्लत और साठेबाजी के चलते इस साल भी संकट में फंसा है। यह प्रकार गए कुछ सालों से मई से अक्टूबर के बीच हो रहा है। जिससे यह बडे व्यापारी और बहुराष्ट्रीय कंपनियां मालामाल और वस्त्रोद्योग शृंखला नामशेष हो रही है ऐसा किरण तारलेकर ने कहा।
उन्होंने कहा कि कपास का हंगाम शुरू होने से पहले केंद्र शासन के कॉटन कार्पोरेशन की ओर से देश की बारिश, कपास इसका अनुमान लेकर देश की सूतगिरणी और बाकी कपास की जरूरत को ध्यान में लेते हुए बाकी रहे कपास की निर्यात तय की जाती है। जबकि हर साल की तरह इस साल भी पहले सात-आठ माह यानी मई तक कपास की उपलब्धता और नैसर्गिक तेजी-मंदी गृहीत पकड़कर दर स्थिर और नियंत्रित रहे। कपास के तालेबंद के अनुसार इस साल जून से सितंबर के इस चार माह के लिए देश की सूतगिरणी को लगनेवाला 1 करोड़ का कपास (गाठी) देश में मुहैया है लेकिन यह सभी कपास चुनिंदा बड़े व्यापारी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने गोदाम में रखा है। इन व्यापारियों ने हर साल की तरह गए माहसे बाजार में कपास की कृत्रिम किल्लत पैदा की है जिससे 41-42 हजार खंडी होने वाला कपास कुछ दिन पहले 50 से 52 खंडी पहुंचा जबकि आज 55 हजार रुपए नहीं मिल रहा है और 57 से 58 हजार की बात की जा रही है जिससे सूत की कीमत में 25 से 30 रुपए और कपड़ा के उत्पादन कीमत में क्वालिटी के अनुसार बढोतरी हो गई है लेकिन कोरोना संसर्ग के चलते कपड़े को बाजार में मांग नहीं होने से कपड़े के दाम नहीं बढ़ रहे हैं जिससे पावरलूमधारकों को बड़ा नुकसान हो रहा है। नुकसान टालने के लिए भिवंडी, मालेगाव, इचलकरंजी और विटा में पावरलूमधारकों ने अपने-अपने व्यवसाय बंद रखे लेकिन कामगारों की समस्या को देखते हुए कितने दिन बंद रखना यह सवाल है। इससे कपड़ा उत्पादक पावरलूमधारक गए कुछ माह से भारी संकट में फंसे हैं।

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