जीवन जीने की सही कला है तपस्या
हुबलीPublished: Sep 23, 2021 12:32:42 am
जीवन जीने की सही कला है तपस्या


जीवन जीने की सही कला है तपस्या
जीवन जीने की सही कला है तपस्या
-साध्वी पद्मावती ने कहा
गदग
शहर के तेरापंथ भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वी पद्मावती ने कहा कि भवकोड़ी संचियं कम्मं तवसा परिणिज्जराई अर्थात तप के जरिए भव-भव से संचित कर्मों का निर्जरण होता है। तपस्या जीवन जीने की कला है। तप मंगल है, तप टॉनिक है और शक्ति है, तप आत्मा शरीर मन और बुद्धि इन चारों को मंगल बनाता है।
साध्वी डॉ. गवेषणा ने कहा कि तपस्या जीवन के हरक्षण को शुभमय, मंगलमय बनाती है। इससे कर्मों की महान निर्जरा होती है। साधक के लिए तप नितांत आवश्यक है। तपस्या साधु का धन है।
साध्वी मयंक प्रभा ने कहा कि तपस्या भाग्य का बहुत बड़ा तोहफा है। जिंदगी में आगे बढऩे के लिए मौसम नहीं मन चाहिए, दृढ़ संकल्प चाहिए। तपस्या मोक्ष का रिजर्वेशन है, सही जीवन जीने का सजेशन है।
साध्वी मेरुप्रभा और साध्वी दक्ष प्रभा के सुमधुर गीतों ने भवन को तपमय बना दिया। मधु संकलेचा और स्वीटी भंसाली ने रोचक परिसंवाद प्रस्तुत किया। जिनल बोहरा, सरिता बोहरा, प्यारे लाल बोहरा ने तप की अनुमोदना की। मनन बागरेचा, करिश्मा भंसाली, खुशी संकलेचा, अंकित कोठारी, मनीषा, सोनू, तृप्ति, पिंकी कोठारी ने तपस्या के मनोबल की सराहना की। गौतम जीरावला, जितेंद्र संकलेचा, देवराज भंसाली, अशोक संकलेचा, पिंकी जीरावला ने विचार व्यकति किया। अस्मिता, पूजा, लब्धि पालरेचा ने तपस्वी खुशी पालरेचा के तपस्या क्यों, कैसे करें इसकी सुंदर प्रस्तुति दी। मंजू दक, सोवनी बाई भंसाली ने मौन अठाई की, प्रेमलता कोठारी, विजेता भंसाली व तेरापंथ महिला मंडल की सदस्यों ने भावपूर्ण गीतिका से परिषद को सरावोर किया।
साध्वी पद्मावती ने एक साथ अनेकों तपस्वियों की तपस्या का प्रत्याख्यान करवाया। सीमा विक्रांत कोठारी सजोडे-बारह आठ, सुरेश कोठारी आठ, सास-बहु-तारा बाई सुमन बोहरा नौ, महावीर-मनीषा पालरेचा सजौडे आठ- नौ, राहुल भंसाली-आठ, जितेन्द्र जीरावला ने नौ, खुशी पालरेचा नौ, सुशीला जीरावला ने आठ, कुसुम जीरावला ने नौ, विणा संकलेचा ने नौ, यशोमती संचेती ने 12, रेणु तातेड ने आठ के, सत्य ज्ञान प्रत्यक्षण करवाए। तेरापंथ भवन सारा तपमय हो गया। तपस्वी आगे बढ़े के नारों से गुंजायमान हो गया।