देश में बना हुआ है आपातकाल जैसा माहौल[typography_font:18pt;” >शिवमोग्गापूर्व आईएएस अधिकारी शशिकांत सेंथिल ने कहा कि देश में इस समय सीएए, एनआरसी, व एनपीआर जैसे मुद्दों की वजह से आपातकाल जैसे हालात बन गए हैं। वे बुधवार को भारतीय संविधान तथा सीएए, एनआरसी/एनपीआर विषय पर आयोजित संवाद कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान बोल रहे थे। कार्यक्रम शहर के सरकारी कर्मचारी संघ के सभागृह में स्वराज इंडिया तथा कर्नाटक दलित संघर्ष समिति की ओर से आयोजित किया गया। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे एनआरसी/सीएए के बारे में लोगों में सिर्फ डर ही पैदा नहीं कर रहे हैं, बल्कि राजनैतिक शतरंज का खेल भी खेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले के दौर में सत्ता पाने के लिए बाहुबल का भरपूर उपयोग कर बूथों पर कब्जा किया जाता था। बाहुबल के साथ-साथ धनबल से भी चुनाव जीतकर सत्ता तक पहुंच जाते थे। जब बाहुबल और धनबल का प्रभाव कम हुआ तो नई तकनीक इजाद कर ली गई। इस तकनीक में सबसे आसान और असरदार है जन भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना। इस समय लोगों की भावनाओं के साथ खेलकर चुनाव जीतने का दौर चल रहा है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह जैसे राजनीतिज्ञ इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं।गोधरा की घटना इन राजनेताओं के लिए एक बेहतरीन मंच साबित हुई। इन्हें नेता के रूप में पहचान मिल गई। देशभक्ति के नाम पर जनता को भावुक करना और फिर वोटों की फसल काटना यही इन राजनेताओं का चरित्र बन गया है। काले धन के नाम पर नोटबंदी की घोषणा कर दी, जिससे देश बुरी तरह आर्थिक संकट में फंस गया और अब तक भी उससे उबर नहीं पाया। देश में अर्थ व्यवस्था की रीढ़ तोडक़र रख दी। इस दौरान पूरे देश के नागरिकों को लाइन में खड़ा कर दिया। कई लोगों की तो लाइनों में खड़े होने से मौत तक हो गई थी। सिर्फ देश का आम आदमी ही लाइन में खड़ा रहा। दूसरी ओर बड़े उद्योगपतियों को इसका बिल्कुल भी असर नहीं हुआ। उन्हें आसानी से चाहो जितने नोटों की जरूरत पड़ी मिलते रहे।उन्होंने कहा कि हिटलर ने भी देश का नाम लेकर ही शासन किया था। देश की जनता को झूठे सपने दिखाता था और अंत में उसका अंजाम कैसा हुआ ये सब जानते हैं। विरोध किए जाने के बावजूद भी जीएसटी देश में लागू कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सीएए जैसे कानून से भारतीय मुस्लिम समुदाय ही नहीं बल्कि देश की समस्त जनता को परेशानी हो सकती है। यह कानून संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ है जिसका पुरजोर विरोध किए जाने की आवश्यकता है। बैठक में किसान नेता कडिदालु शामण्णा, वरिष्ठ विचारक पुट्टय्या, डीएसएस संगठन के नेता गुरुमूर्ति एवं के.पी. श्रीपाल आदि उपस्थित थे।