जुर्माना लगाने के अधिकारियों को निर्देश दिए
शहर में पत्रकारों से बातचीत में न्यायाधीश अडी ने कहा कि प्रतिबंधित प्लास्टिक वस्तुओं का उत्पादन व इस्तेमाल भी कानून का उल्लंघन है। चिकित्सा संस्थाओं, शिक्षण संस्थाओं, रेलवे स्टेशन समेत विभिन्न जगहों पर अनिवार्य तौर पर प्लास्टिक इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए गए हैं। सभी जगहों पर प्लास्टिक पर प्रतिबंध के लिए अक्टूबर तक की समय सीमा दी गई है। लापरवाही बरतने पर अधिकारियों के खिलाफ अनुशासन के तहत कार्रवाई करना अनिवार्य हो जाएगी। धीरे-धीरे प्लास्टिक की पानी की बोतलों का इस्तेमाल भी कम होना चाहिए। इस दिशा में उपभोक्ताओं पर जुर्माना लगाने के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं।बड़े पैमाने पर जुर्माना लगा सकते हैं
भवनों का कचरा प्रबंधन बड़ी चुनौती बना रहा है। हर कहीं भवनों का कचरा नहीं ले जा सकते। अनुमति प्राप्त कचरा वाहनों तथा निर्धारित जगह पर कूड़ा फेंकना चाहिए। इसके लिए महानगर निगम ने 12 जगहों को चिन्हित करने के बारे में बैठक में जानकारी दी है तुरन्त लोगों को इस बारे में जानकारी प्रकाशित करने के निर्देश दिए गए हैं। भवन कचरा प्रबंधन के मुद्दे पर स्थानीय निकायों को सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर बड़े पैमाने पर जुर्माना लगा सकते हैं।वस्तुओं का दुबारा इस्तेमाल करना चाहिए
भवनों के मलबे में भरी मिट्टी को छोड़ कर अन्य सभी वस्तुओं का दुबारा इस्तेमाल करना चाहिए। लोकनिर्माण विभाग के लिए सड़क निर्माण में मात्र 20 प्रतिशत एम. सैन्ड का इस्तेमाल करने का नियम है। हुब्बल्ली-धारवाड़ महानगर निगम कार्यक्षेत्र में भवन कचरे का संस्करण आरम्भ करने के निर्देश दिए गए हैं। 20 टन से अधिक मात्रा में भवन कचरा मिलने पर इसके प्रबंध के बारे में योजना तैयार कर संबंधित स्थानीय निकायों को सौंप कर अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य है। इसका उल्लंघन करने पर स्थानीय निकायों के अधिकारी जुर्माना लगा सकते हैं।संवाददाता सम्मेलन में पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारी विजयकुमार कड़कबावी भी उपस्थित थे।