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हुबली

ग्रामीणों ने बताए कोरोनाकाल के बुरे अनुभव

चिकित्सा व्यवस्था से उठ रहा ग्रामीणों का भरोसा!
ग्राम पंचायत सदस्य चंद्रशेखरय्या पुजारी ने सवाल उठाया कि जब
आयुर्वेदिक चिकित्सक एलोपैथी की दवाई दे रहे हों तो ऐसे में
चिकित्सा प्रणाली के बारे में भला विश्वास कैसे करें ?

हुबलीJun 03, 2021 / 07:30 pm

MAGAN DARMOLA

ग्रामीणों ने बताए कोरोनाकाल के बुरे अनुभव

ग्रामीणों ने बताए कोरोनाकाल के बुरे अनुभव

बागलकोट. कोई भी इस समय अस्पताल जाने के लिए तैयार नहीं हो रहा है। अस्पताल गया व्यक्ति या तो जल्दी ठीक होकर अस्पताल से नहीं लौटता या उसका शव ही अस्पताल से निकलता है। अब तो लोग कहने लगे हैं कि वे भले अपने घर के सामने ही प्राण त्याग देंगे पर अस्पताल नहीं जाएंगे। यह बात हुनहुंद तालुक कडिवाल कल्लापुप मार्ग पर हुलिगेप्पा चरवाहे ने तथा स्थानीय निवासी मुदकप्पा मोगनूर ने की। ग्रामीण क्षेत्र में चिकित्सा व्यवस्था का पतन किस कदर हुआ है इसका आभास ग्रामीण क्षेत्र का दौरे पर रहे संवाददाताओं को इनकी बातों से हुआ।

गंजीहाल के प्रमुख मार्ग पर एक वृध्द से आमना सामना हुआ। वृद्ध ने सप्ताह के भीतर पांच जनों की मौत होने की खबर सुनाई। इस गांव में कपड़े की दुकान पर कारोबार सुबह 10 बजे के बाद भी ज़ोरों से चलता रहा। गांव में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं दिखा जिसने मास्क धारण किया हो। सामाजिक सुरक्षा अंतर ना के बराबर था। ग्राम पंचायत कार्यालय सुनसान था। कार्यालय में कार्यरत सहायिका से पंचायत विकास अधिकारी हालप्पा अविन का फोन नंबर प्राप्त कर संपर्क साधा। हालप्पा अविन ने बताया कि वे काम के सिलसिले में मुख्यालय से बाहर हैं तथा वे पंचायत कार्यालय नहीं पहुंचेगे। उन्होंने बताया कि कोरोना से सिर्फ दो लोगों की मृत्यु हुई है अन्य लोगों की मृत्यु अन्य कारणों से हुई होगी।

ग्राम पंचायत सदस्य चंद्रशेखरय्या पुजारी ने सवाल उठाया कि जब आयुर्वेदिक चिकित्सक एलोपैथी की दवाई दे रहे हों तो ऐसे में चिकित्सा प्रणाली के बारे में भला विश्वास कैसे करें ? पंचायत बिल कलक्टर हुलिगेप्पा ने जानकारी दी कि कंदगल से इलकल मार्ग पर स्थित हिरेकोडगली गांव के अस्पताल पर ताला लगा था। इस बारे में पंचायत बिल कलक्टर हुलिगेप्पा ने संवाददाताओं को बताया कि यहां पांच सालों से कोई चिकित्सक नहीं है। यहां जो नर्स कार्य करती थी उनका भी तबादला हुब्बल्ली को हुआ है।
वलकलदिन्नी गांव के मंगलप्पा बडबट्टी ने जानकारी कि हुनगुंद तालुक बिसलदिन्नी में स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र की इमारत के चारों ओर कंटीली झाडिय़ां उगी हैं। अस्पताल का निर्माण 15 साल पहले हुआ था। प्रारंभ में तीन सालों तक चिकित्सक आते थे।

कूडलसंगम से सप्ताह में दो बार जूनियर स्वास्थ्य सहायिका आती थी। अब कोई नहीं आता। कूडलसंगम के इंटरनेशनल टूरिस्ट सेंटर और नारायणपुर जलाशय के बैकवाटर जलमग्न क्षेत्र में केन्द्र सरकार की ओर से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रूप में वर्ष 2011 में उन्नत किया गया। नियमानुसार छह विशेषज्ञ चिकित्सक होने चाहिए परंतु यहां किसी विशेषज्ञ को नहीं बल्कि बीएएमएस चिकित्सक को नियुक्त किया गया है। हुनगुंद तथा इलकल तालुक में 59 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं। 13 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। दो जगहों पर मात्र एमबीबीएस चिकित्सक हैं।

मुन्नाभाई का बोलबाला

कोरोना की संकट की घड़ी में ग्रामीणों को फर्जी चिकित्सकों का ही सहारा लेना पड़ रहा है। यहां मुन्नाभाई का ही बोलबाला है। इलकल तालुक के सीमावर्ती, इस्लामपुर, अमरवाडगी, चिन्नापुर के लोगों को रायचूर जिले के लिंगसूगूरु चतालक के हलकवाडी जाना पड़ता है। अस्पताल चलाने वाले कोई और नहीं वो बी ए की डिग्री प्राप्त करने वाले वो कर्मचारी हैं जो निजी अस्पताल में काम करते थे। इस्लामपुर निवासी जबीर ने बताया कि बुखार, सर्दी होने पर पैरासिटामॉल, एंटीबायोटिक तथा विटामिन की गोली देते हैं। यहां के चिकित्सक, आवश्यकता पडऩे पर सलाइन लगाते हैं। यदि मरीज की तबीयत अधिक खराब हो जाए तो बागलकोट ले जाने की सलाह देते हैं। यहां के नकली चिकित्सक एक व्यक्ति से प्रतिदिन 1000 से 1500 तक बिल वसूल करते हैं।

चिकित्सकीय कर्मचारी बोले, ग्रामीण सहयोग नहीं दे रहे हैं

कंदगल. कंदगल छोटा सा गांव है जहां की जनसंख्या 13 हजार से अधिक है। निकटवर्ती 18 गांवों का एकमात्र आधार यहां का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही है। वरिष्ठ नर्स ने जानकारी दी कि मरीजों का इलाज चिकित्सक डॉ. एसएस बिंजवाडगी ही करते हैं। गांव के लोग किसी प्रकार से मदद नहीं दे रहे हैं। आशा कार्यकर्ता ग्रामीणों के द्वार द्वार पर जाकर कोरोना के टीके लगवाने की अपील कर रही हैं। घर आए कार्यकर्ताओं को ग्रामीण डांट कर वापस भेज रहे हैं। बाहर से आए लोग भी बात नहीं सुन रहे हैं। आपबीती सुनाते हुए नर्स के बगल में खड़ी आशा कार्यकर्ता ने कहा कि गांव वाले उन्हें घर आने से भी मना कर रहे हैं। इतना ही नहीं अपशब्द कहकर अपमान भी कर रहे हैं।

चिकित्सक डॉ. बिंजवाडगी से पूछने पर उन्होंने बताया कि कोरोना नियंत्रण में है। अभी तक अस्पताल में कितने लोगों की कोरोना जांच हुई है? संवाददाताओं के इस सवाल की स्पष्ट जानकारी चिकित्सक ने नहीं दी उन्होंने बस इतना ही कहा कि रिकॉर्ड बुक परीक्षण के लिए गए स्टाफ के पास है।

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