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हम सभी चेतनवंत जीव हैं

locationहुबलीPublished: Oct 17, 2023 06:32:29 pm

Submitted by:

S F Munshi

हम सभी चेतनवंत जीव हैं

हम सभी चेतनवंत जीव हैं
हम सभी चेतनवंत जीव हैं
हम सभी चेतनवंत जीव हैं
-आचार्यश्री महेन्द्र सागर सूरी के प्रवचन
राणेबेन्नूर (हावेरी).
हुआ सरस्वतीमय माता सरस्वती के मंत्र जाप साधना के दुसरे दिन आचार्यश्री महेन्द्र सागर सूरी ने इस मौके पर कहा कि हम सभी चेतनवंत जीव हैं। इसलिए एक चीज हमें याद रखनी है कि शरीर को बहुतसी चीजें पदार्थ की जरुरत हुआ करती है। उसे भोजन की जरूरत, कपडे की जरुरत, गाडी-गहने की जरूरत, दुनिया की भौतिक वस्तुओं की बडी तादाद में जरुरत पडती है, किन्तु आत्मा जो है उसकी सबसे बडी खुराक यदि कोई हो तो वह है भाव-प्रेम। दो तत्व हैं, एक शरीर और एक आत्मा। शरीर को भौतिक चीज पदार्थों की जरुरत पडती है और आत्मा को भाव प्रेम की आवश्यकता पड़ती है। आप देखेंगे कि इस दुनिया में अगर किसी के प्रति भाव जगेगा तो आपको जीवन में आनंद आएगा। भाव किसी में जगा तो आनंद आएगा। भाव नहीं जगेगा तो मजा नहीं आएगा।
मैं देखता हूँ कि जिन पुत्रों में अपने माता पिता के प्रति अगर भाव होगा तो वह भाव क्या काम करते हैं। देखिए आप कि माता-पिता कुछ दान-पुण्य धर्म आराधन करे और उन दूर रह रहे पुत्रों को पता है, किन्तु उन माता-पिता को यह पता चले कि मेरा बेटा जिस शहर नगर में रहता है उस शहर नगर में गुरुवर गए हैं तो बेटा इतना खुश होता है और कहता है कि मैं गुरुवर के दर्शन को जाता हूँ, प्रवचन श्रवण को भी जा रहा हँू। यह सुनकर मां-बाप को आत्मीक आनंद होता है। हम जारी है बेटे के घर जो कि दूसरे नगर शहर में रह रहा है किंतु खुशी माता-पिता को होती है। भाव तत्व ऐसा अद्भूत है कि उसकी बात ही निराली है।
लोगों को अभी सिर्फ मोबाइल तत्व ही समझ में आ रहा है। भाव तत्व समझ में नहीं आ रहा है। लोग सिर्फ लौकिक वस्तुओं के महत्व को ही समझे हैं, लेकिन भावतत्व को नहीं समझे हैं, जो वास्तव में सुखदायी है उसका महत्व अभी तक समझ नहीं रहे हैं। व्यक्ति के भाव भगवान में संत में या सज्जन में रहा तो उसे कभी यहाँ वहाँ भटकने नहीं देंगे। भगवान में भाव माता-पिता में भाव साधु-संतों में भाव और जीवों के प्रति भाव से हिन्दुस्तान की संस्कृति है।
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