scriptक्या बंगाल की दीदी गोवा की भी दीदी बन पाएंगी | Will Bengal's didi be able to become Goa's didi too? | Patrika News

क्या बंगाल की दीदी गोवा की भी दीदी बन पाएंगी

locationहुबलीPublished: Oct 31, 2021 12:35:15 am

Submitted by:

S F Munshi

क्या बंगाल की दीदी गोवा की भी दीदी बन पाएंगी

क्या बंगाल की दीदी गोवा की भी दीदी बन पाएंगी

क्या बंगाल की दीदी गोवा की भी दीदी बन पाएंगी

क्या बंगाल की दीदी गोवा की भी दीदी बन पाएंगी
पणजी
परिस्थितियां बदलते ही किसी व्यक्ति के सुर कैसे बदल जाते हैं इसका ताजा नमूना गोवा की राजधानी पणजी में देखने को मिला। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने तीन दिन के दौरे पर गोवा में थीं। मकसद था गोवा विधानसभा चुनाव के पूर्व, राज्य में अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के लिए जमीन तलाशना। वही ममता बनर्जी जो कुछ महीनों पहले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी को बाहरवालों की पार्टी कह रही थीं और बार-बार उनका यही कहना था कि गुजरात के नेता पश्चिम बंगाल पर कब्जा करना चाहते हैं, बीजेपी शासित गोवा में वह कुछ और ही राग अलाप रही थीं।
इससे पहले कि कोई उनसे सवाल करता कि क्या पश्चिम बंगाल की पार्टी और पश्चिम बंगाल के नेता कोलकाता से 2200 किलोमीटर दूर गोवा में बाहरवाले नहीं हैं, ममता बनर्जी ने खुद इसका जवाब देना उचित समझा। उनकी सफाई थी कि गोवा में वह राज नहीं करेंगी, अगर उनकी पार्टी गोवा चुनाव जीतने में सफल रही तो गोवा के लोग ही गोवा में सरकार चलाएंगे, बस वह उस सरकार पर नजर बनाए रखेंगी ताकि तृणमूल कांग्रेस की सरकार गोवा की जनता के हित में काम करती रहे।
ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल की ही तरह गोवा भी उनका घर है, क्योंकि गोवा भारत का हिस्सा है। जैसे मैं बंगाल की बहन हूं, उसी तरह मैं गोवा की भी बहन हूं। ममता बनर्जी ने कहा। यानी बंगाल की दीदी गोवा की भी दीदी बनना चाहती हैं।
अब दीदी से कोई सवाल करे कि क्या बीजेपी की जीत की स्थिति में गुजरात का कोई नेता पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनने वाला था कि उन्होंने बाहरवालों का बवाल शुरू कर दिया था? शुभेंदु अधिकारी, दिलीप घोष या मुकुल रॉय जिसे भी बीजेपी मुख्यमंत्री पद के लिए मनोनीत करती वह क्या पश्चिम बंगाल के निवासी नहीं हैं? पर राजनीति है, सब चलता है।
ममता बनर्जी का गोवा दौरा एक तरह से विफल रहा। अगर उनके पोस्टर और बैनर पर कालिख नहीं पोती गई होती और उनका स्वागत काले झंडे के साथ नहीं होता तो शायद किसी को पता भी नहीं चलता कि वह गोवा पधारी हैं। और ममता बनर्जी नाटक कला में कितनी परिपूर्ण हैं इसका नमूना पश्चिम बंगाल चुनाव के दौरान दिखा था। एक दुर्घटना को जिसमें उनके एक पैर में मामूली सी चोट लग गयी थी, उसे उन्होंने अपने ऊपर बीजेपी द्वारा जानलेवा हमला करार दे दिया था। कई दिन तक अस्पताल में रहीं और पैर पर प्लास्टर लगा कर और व्हील चेयर पर बैठ कर चुनावी सभाओं में जाती रहीं ताकि उन्हें सहानुभूति वोट मिल सके। जैसा अनुमान था, वोटिंग खत्म होते ही उनका प्लास्टर उतर गया।
यह सोचना ही हास्यास्पद है कि तृणमूल कांग्रेस के गोवा में चुनाव लडऩे के फैसले से गोवा की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी डर गयी है। बीजेपी तो खुश होगी क्योंकि गोवा चुनाव में बीजेपी की टक्कर कांग्रेस पार्टी से होगी और तृणमूल कांग्रेस को गोवा में जो भी वोट मिलेगा वह कांग्रेस के खाते से टूट कर ही आएगा। वोटों के इस बंटवारे से बीजेपी का फायदा होगा ना कि नुकसान। वैसे लगता नही हैं कि कांग्रेस पार्टी का भी वह कोई खास नुकसान कर पाएंगी। गोवा में अगर कांग्रेस पार्टी हारी तो उसका कारण उनकी खुद अपने घर को सुरक्षित नहीं रखने की विफलता होगी ना कि तृणमूल कांग्रेस के कारण।
गोवा में कांग्रेस या किसी दूसरे दल को तोड़ कर उनके नेताओं को पार्टी में शामिल करने में दीदी की पार्टी पूर्णतया विफल रही। अभी तक सिवा लुइजिन्हो फलेरियो के कोई और कांग्रेस का नेता तृणमूल कांग्रेस में शामिल नहीं हुआ है और इस बात को हुए भी एक महीने से ज्यादा समय गुजर चुका है। हां, कल गोवा में यह दिखाने की कोशिश जरूर की गई कि समाज के प्रमुख लोग गोवा चुनाव के पहले तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं।
क्या पेस और नफीसा गोवा में दिलाएंगे सत्ता
प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस और फिल्म कलाकार नफीसा अली को कल तृणमूल कांग्रेस में शामिल किया, मानो वह गोवा के निवासी हों। दोनों का कोलकाता से पुराना नाता है और उनकी पैदाइश कोलकाता की है। दोनों फर्राटेदार बंगाली बोलते हैं ना कि कोंकणी। पेस गोवा मूल के जरूर हैं, पर उनकी मां बंगाली हैं और पेस के माता-पिता कोलकाता में रहते हैं। टेनिस से संन्यास लेने के बाद पेस अब ज्यादातर समय मुंबई में रहते हैं।
वहीं नफीसा अली दिल्ली में रहती हैं। फलेरियो को तृणमूल कांग्रेस में शामिल करने के लिए पिछले महीने कोलकाता बुलाया गया था, पर पेस और नफीसा अली को तृणमूल कांग्रेस में शामिल करने गोवा क्यों बुलाया गया यह समझ से परे है। दोनों को कोलकाता में भी तो बुला कर सदस्य बनाया जा सकता था। इस बात की सम्भावना नगण्य है कि इन दोनों में से कोई भी गोवा से चुनाव लडेगा। हां, उन्हें चुनाव प्रचार के लिए गोवा लाया जा सकता है। देखना सिर्फ यही होगा कि गोवा की जनता ममता बनर्जी को सत्ता की कुंजी सौंपेगी या फिर टूरिस्ट वीजा?
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