बता दें कि, आंध्र प्रदेश विधान परिषद् में विपक्ष को बहुमत प्राप्त है। बुधवार देर रात चले विधानसभा सत्र में जगन सरकार को तब झटका लगा जब विपक्षी तेलुगु देसम पार्टी ने रूल 71 के अंतर्गत मतदान करवाया और कॉउंसिल में टीडीपी जीत गई। इसके चलते तीन राजधानी बनाने के लिए विधानसभा में मंजूर बिल विधान परिषद् में पास नहीं कराया जा सका, क्योंकि राजधानी बिल को परिषद् ने एक सेलेक्ट कमिटी को भेज दिया था। अब सरकार हर हाल में तीन राजधानी बनाने के लिए सीधे विधान परिषद् का प्रावधान खत्म करने का प्लान बना चुकी है। मिली जानकारी के अनुसार ऐसा होने के बाद सरकार के लिए अपने कई बिल केवल विधान सभा द्वारा पास कराना सरल हो जाएगा।
मालूम हो कि इससे पहले भी संयुक्त आंध्र प्रदेश में 1983 में कांग्रेस को करारी शिकस्त देकर सत्ता प्राप्त करने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री एन.टी.रामा राव ने 1985 में विधान परिषद् के प्रावधान को खत्म किया था। क्योंकि विधान परिषद् में तब कांग्रेस का वर्चस्व था। उसके बाद 1995 में चंद्रबाबू के तेलुगु राजनीति के पटल पर उभर आने के बाद भी सिर्फ विधान सभा द्वारा राज्य चलता रहा, लेकिन जगन के पिता वाईएस राजशेखर रेड्डी 2004 में सत्ता में आए और 2007 में विधान परिषद् को फिर से शुरू किया। बड़ी हद तक जगन अपने दिवंगत पिता वाईएसआर की तरह जल्दी-जल्दी कल्याणकारी योजनाओं और तीन राजधानी जैसे कुछ बड़े निर्णय लेकर जनता के बीच अपनी इमेज स्थापित करने का प्रयत्न कर रहे हैं। उसके लिए चाहे विपक्ष को जिस भी तरह मुमकिन हो कुचल कर रख दिया जाए।