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31 में से 26 थे नेगेटिव…
हादसे के वक्त 31 कोरोना मरीज थे। जांच रिपोर्ट में साफ हुआ कि सेंटर के 31 में से 26 लोग नेगेटिव थे। यह सेंटर रमेश हॉस्पिटल का था। अस्पताल में ज्यादा मरीज होने के कारण कुछ को यहां शिफ्ट किया था। स्वास्थ्य मंत्री द्वारा नियुक्त कमेटी की रिपोर्ट में कहा है कि महज सिटी स्कैन कर सामान्य लोगों को कोरोना पॉजिटिव बताकर रुपए ऐंठने के लिए भर्ती किया जाता था।
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जांच में सामने आईं यह लापरवाही..
जांच रिपोर्ट जिलाधीश इम्तियाज को सौंपी। जांच में लापरवाही के चलते अग्नि दुर्घटना होना बताया है। अग्नि निरोधक उपकरण नहीं मिले। क्षमता से ज्यादा मरीजों को अस्पताल में रखा गया और उपचार के नाम पर मनमाने रुपए वसूले गए।
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सीटी स्कैन कर बताते कोरोना…
शहर के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. वीवीबी चौधरी ने डॉक्टरों के वाट्सऐप ग्रुप पर खुलासा किया कि शहर के कई अस्पताल सीटी स्कैन कर लोगों को कोरोना बता रहे हैं। उपचार के नाम पर मनमानी वसूली की जा रही है।
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इलाज के लिए बनाए लाखों के पैकेज
रमेश अस्पताल सहित यहां के तमाम अस्पतालों ने कोरोना के इलाज के लिए पैकेज बनाए हैं। 10 दिन के लिए 5 लाख, 7 दिन के 4 लाख व 5 दिन के 3 लाख रुपए निर्धारित हैं। डेबिट, क्रेडिट कार्ड से भुगतान लिया जाता है। मरीजों को बीमा दावों के लिए रसीद तक नहीं देते। परिजन को आने-जाने की अनुमति तक नहीं है। विजयवाड़ा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. रसिक संघवी का कहना है, कोरोना मरीजों का सीटी स्कैन सिर्फ फेफड़े की स्थिति पता करने के लिए किया जाता है ताकि सही इलाज कर सकें।