नितिका के गर्भ से जब यह प्यारी सी बच्ची पैदा हुई, तो इस मासूम का वजन सिर्फ 375 ग्राम था। यानी ढाई सौ ग्राम के स्मार्ट फोन से थोड़ी सी ज्यादा वज़नी। एडवांस मेडिकल साइंस की मदद से न सिर्फ बच्ची 5 महीने में पैदा हो सकी, बल्कि आज वो स्वस्थ भी है। चार बार अबोर्शन का दर्द झेल चुकी राजनांदगांव की रहने वाली नितिका और सौरभ को समझ नहीं आया कि वे खुशी मनाएं भी या नहीं, क्योंकि ये बच्ची छत्तीसगढ़ ही नहीं, भारत में सबसे कम वजन की प्री-म्यचोर बच्ची थी और हर जगह अस्पतालों ने उसका इलाज करने से मना कर दिए था, लेकिन हैदराबाद के एक निजी अस्पताल ने उसका जिम्मा लिया।
ऑपरेशन थियेटर में डॉक्टर की हथेली पर डिलिवरी डेट से 4 महीने पहले पैदा हुई बच्ची की मासूमियत देख कर डॉक्टर के मुंह से पहला शब्द निकला- चेरी… लेकिन चेरी को बचाना किसी चमत्कार से कम नहीं था। उसे 105 दिनों तक वेंटीलेटर पर रखा गया। सबसे पतली ऑक्सीजन ट्यूब उसकी सांस की नली में डाली गई, उसे जॉन्डिस हो गया, फेंफड़ों में इंफेक्शन हो गया और कई बार खून चढ़ाना पड़ा। डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ की कड़ी मेहनत और एडवांस्ड मेडिकल साइंस की मदद से चेरी ने हर मुसीबत का डट कर मुक़ाबला किया। अब वह 5 महीने की हो चुकी है और उसका वजन बढ़कर करीब सवा दो किलो हो गया है। उसके पिता सौरभ ने तय किया है कि वो अपनी बच्ची का घर का नाम भी चेरी ही रखेंगे।