नवाब ने बजाई मदद की बिगुल
हैदराबाद में 7 वें निजाम मीर उस्मान अली खान के पड़पोते नवाब नजफ़ अली खान के नेतृत्व में यह अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत वे समुदाय को इसके महत्व को समझाने की कोशिश कर रहे हैं। नवाब नजफ़ के अनुसार यह बेहद दुखदायी है कि कई लोग बुनियादी आवश्यकताओं और भोजन तथा आश्रय के बिना जीने को मजबूर हो रहे हैं। ऐसे संकट में घिरे लोगों की मदद करना जरूरी है, इसलिए ईद पर नए कपडे नहीं खरीदने का संकल्प लिया जा रहा है। नवाब नजफ़ अपील कर रहे हैं कि उस पैसे की बचत कर समाज के जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने का काम किया जाए।
खाड़ी देशों के युवाओं से प्रेरित
दरअसल खाड़ी देशों के कुछ युवाओं द्वारा यह अभियान शुरू किया गया, जिसे भारत में भी प्रोत्साहन मिल रहा है। इसी क्रम में हैदराबाद के कई मुस्लिम खानदान लॉक डाउन से प्रभावित लोगों के साथ एकजुटता दिखा रहे हैं और उनकी मदद करने के लिए “ईद पर नए कपडे नहीं लेंगे” नामक अभियान से जुड़ते जा रहे हैं। मलकपेट के एक डॉक्टर परिवार ने पत्रिका को बताया कि उन्होंने अपने और अपनी बेटियों के लिए इस ईद पर नए कपडे नहीं खरीदने का निर्णय लिया है। जवेरिया ने बताया कि उनके घर में सबने पुराने कपड़ों को ही इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है।
सोशल मीडिया पर मुहिम
सोशल मीडिया पर इस अभियान को आगे बढ़ाने की कोशिशों का सकारात्मक असर देखा जा रहा है। ‘बनी इस्माइलÓ तथा ‘मरहमा’ जैसे नामी फैमिली समूहों ने “ईद पर नहीं लेंगे नए कपडे” मुहीम पर जैसे संदेश पोस्ट किए हैं। तहरीक मुस्लिम शुब्बान नामी युवाओं के संगठन ने भी इस मुहीम को समर्थन दिया है। उनका कहना है कि ईद पर इस बार नए कपडे नहीं खरीदने का फैसला किया गया है। उनका कहना है कि वे पहले से उनके पास मौजूद कोई भी अच्छे कपडे पहन कर ईद मना लेंगे। एक स्थानयी व्यापारी ने फैसला किया है उनके परिवार में ईद पर 40 हजार रूपए खर्च होते थे। इस बार उन्होंने 30 हजार रूपए बचा कर, उस राशि को जरूरतमंदों की मदद करने के लिए उपयोग करने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि तेलंगाना सरकार ने राज्य में लॉक डाउन को 29 मई तक बढऩे का निर्णय लिया है और इस बार की “ईद-उल-फि़त्र” लॉक डाउन के बीच गुजरने वाली है।