हैदराबाद साइबर अपराध पुलिस ने चीन से ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त करने वाले दो एमबीबीएस के छात्रों और तेलंगाना स्टेट मेडिकल काउंसिल (TSMC) के एक वरिष्ठ सहायक को फर्जी तरीके से परिषद से चिकित्सा पंजीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
दामन पर दाग तो टूटेंगे बड़ी कुर्सी के सपने
हैदराबाद से फर्जी एमबीबीएस की डिग्री का बड़ा मामला सामने आया है। इस मामले में चीनी कनेक्शन भी उजागर हुआ है। यहाँ हैदराबाद साइबर अपराध पुलिस ने चीन से ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त करने वाले दो एमबीबीएस के छात्रों को एक अधिकारी को रिश्वत देने के आरोप में गिरफ्तार किया है। ये छात्र तेलंगाना स्टेट मेडिकल काउंसिल (TSMC) के एक क्लर्क को फोरेन मेडिकल ग्रेजुएट इग्ज़ैमनैशन (FMGE) का पास सर्टिफिकेट और एमबीबीएस पंजीकरण संख्या प्राप्त करने के लिए रिश्वत दे रहे थे।
पुलिस ने चीन से डिग्री पाने वाले दो छात्रों के अलावा तेलंगाना स्टेट मेडिकल काउंसिल (TSMC) के वरिष्ठ सहायक अनंत कुमार को भी गिरफ्तार किया है। इस अनंत कुमार ने कथित तौर पर चीन के उन विदेशी मेडिकल ग्रेजुएट में से प्रत्येक से 9 लाख रुपये की रिश्वत ली थी और परिषद के डेटाबेस के साथ छेड़छाड़ की थी। इन दोनों छात्रों की पहचान शिव आनंद और टी दिलप कुमार के रूप में हुई है इन दोनों छात्रों पर आरोप है कि दोनों ने मेडिकल रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट 9 लाख रुपये की रिश्वत देकर हासिल कर लिया।
जानकारी के अनुसार आनंद ने चीन के साउथ ईस्ट यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की थी, जबकि टी दिलप कुमार ने 2012 में नान्चॉन्ग यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी की। चीन से एमबीबीएस करने के बाद वे भारत लौट आए। भारत लौटने के बाद इन दोनों ने 2012 और 2014 के बीच फोरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स की परीक्षा दी थी, परंतु ये इस परीक्षा को पास करने में असफल रहे थे।
यह भी पढ़े – यूक्रेन की सस्ती पढ़ाई का खुलासा-जानिये डॉक्टर बनने के बाद क्या होता है स्टूडेंट का भविष्य बता दें भारत का राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड एक लाइसेंस परीक्षा हर साल आयोजित करता है। जो भी छात्र विदेश से मेडिकल की डिग्री प्राप्त करते हैं उन्हें ये परीक्षा देना आवश्यक होता है। इस परीक्षा को पास करने के बाद ही भारत में इन्हें मेडिकल अभ्यास के लिए लाइसेंस प्राप्त हो पाता है।
यह घोटाला तब सामने आया जब चार डॉक्टरों ने अपने लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए परिषद का दरवाजा खटखटाया। हालाँकि परिषद ने देखा कि डॉक्टरों द्वारा प्रदान किया गया डेटा चिकित्सा परिषद के डेटा से मेल नहीं खाता।
हैदराबाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं और आईटी एक्ट के तहत धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज किया है।