कोरोना के कारण स्थगित
इस लॉक डाउन का शिकार तेलंगाना के हैदराबाद का प्रसिद्ध मछली प्रसादम भी बन गया है, जिसे लेने के लिए दुनिया भर से लोग हर साल हैदराबाद आते थे। मुफ्त में इस प्रसिद्ध मछली प्रसादम का वितरण करने वाले बथिनी गौड़ परिवार ने कोरोना और लॉक डाउन के चलते इस साल प्रसादम को न बांटने का निर्णय लिया है। गत वर्ष लाखों की संख्या में लोग इस प्रसाद को ग्रहण करने आए थे। बथिनी गौड़ परिवार के मुखिया हरिनाथ गौड़ ने बताया की “कोरोना महामारी के चलते मछली प्रसादम के वितरण के दौरान सोशल डिस्टन्सिंग का पालन करना मुश्किल है, इसलिए हमने इस वर्ष कोरोना वायरस महामारी की वजह से इस प्रसादम का वितरण नहीं किया जाएगा।”
प्रसादम की भ्रामक खबरें
हरिनाथ गौड़ ने लोगों से अपील की है कि मृगसिरा कार्ति को वे हैदराबाद न आएं। साथ ही उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर बथिनी परिवार के नाम पर कोरोना के बीच प्रसादम वितरण करने की गलत खबरें फैलाई जा रही हैं। उन्होंने लोगों से विनती की कि सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही इन फेक न्यूज़ पर विश्वास न करें। ताकि एक साथ भीड़ को रोका जा सके।
173 वर्षों से परंपरा
गौरतलब है कि बथिनी परिवार पांच पीढिय़ों से तथा 173 वर्षों से यह प्रसिद्ध मछली दवा तमाम जनता के लिए मुफ्त देता आया है। प्रसिद्ध मछली प्रसादम की शुरुआत 1845 में की गयी थी, जिसके बाद से अब तक बथिनी गौड़ परिवार के सदस्य हर साल मृगसिरा कार्ति को हैदराबाद के नामपल्ली एक्जीबिशन ग्राउंड में मछली प्रसादम वितरित करता आया है।
कई बीमारियों के उपचार का दावा
पिछले कई वर्षों से लाखों लोगों का विश्वास है कि इस मछली दवा से अस्थमा और श्वास सम्बन्धी सभी प्रकार की बीमारियां दूर हो जाती है। जड़ी बूटियों के खास पीले रंग के इस पेस्ट का राज़ बथिनी परिवार ने आम लोगों से अब तक गुप्त रखा है और ख़ास बात यह है कि यह दवा सब को मुफ्त में पिलाई जाती है। इसी वजह से पिछले कई सालों से हर साल दूर दराज़ से लोग इस मछली प्रसादम के लिए हैदराबाद आते हैं। परन्तु कोरोना महामारी के चलते बथिनी गौड़ परिवार ने इस साल मछली प्रसादम वितरित न करने का निर्णय लिया है।