पुलिस के अनुसार पुरुषोत्तम काफी उच्च शिक्षित है और विजयलक्ष्मी भी शिक्षक के तौर पर काम कर चुकी है। वे माओवादियों को भर्ती कराते थे और गाँव-गाँव जा कर बच्चों को सीपीआई (माओवादी) पार्टी से जोड़ने का काम करते थे।
रह चुका है स्कूल में हेडमास्टर
पुरुषोत्तम वर्ष 1981 में सिकंदराबाद अड्डगुट्टा के आंबेडकर विद्यानिकेतन अप्पर प्राइमरी स्कूल के हेडमास्टर के तौर पर भी काम कर चुका है। इस दौरान ही उसका दिवंगत कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी व के.जी.सत्यमूर्ति से परिचय हुआ था। उसने 1981 में ही पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। वर्ष 1982 में उसका परिचय विनोदिनी से हुआ और दोनों ने प्रेम विवाह कर लिया। विनोदिनी को उस समय कम्प्यूटर का अच्छा ज्ञान था।
कई माओवादियों से रहे है संपर्क
शादी के बाद वे हैदराबाद के कृष्णा नगर में रहने लगे। दोनों ने मिलकर करीब 60 लोगों को माओवादी संगठन से जोड़ा। इसके बाद वर्ष 1986 से 96 तक उनका ठिकाना विशाखापट्नम रहा। वर्ष 1991 में विशाखापट्नम में इन्हें गिरफ्तार भी किया गया। वे संगठन में भिन्न-भिन्न पदों पर आसीन रहे। पुरुषोत्तम का कई बड़े माओवादियों से संपर्क है। पार्टी द्वारा 2005 से 2014 तक उन्हें चेन्नई भेजा गया और ए.हरगोपाल उर्फ आर.के. को मदद करने के निर्देश दिए गए। वे 13 वर्षों तक एक-दुसरे के संपर्क में रहे। इसी क्रम में वर्ष 2014 से वे नगर में रह रहे थे।
इसलिए किया आत्मसमर्पण
आत्मसमर्पण के बारे में उन्होंने बताया कि पार्टी अपने सिद्धांतों से पिछड़ गई है। जबकि उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं है और उन्होंने बेहतर जीवन जीने के लिए ही आत्मसमर्पण का रास्ता अपनाया है।