375 लोगों पर परीक्षण
पहले फेज में इसका 375 लोगों पर परीक्षण किया जाएगा। इनमें 100 लोगों पर परीक्षण एम्स में होगा। एम्स की आचार समिति ने कोविड-19 के स्वदेश विकसित टीके ‘कोवाक्सिन’ के मानव पर परीक्षण की शनिवार को अनुमति दे दी थी। कोवाक्सिन के मानव पर पहले और दूसरे चरण के परीक्षण के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने दिल्ली स्थित एम्स समेत 12 संस्थानों का चयन किया है.
हैदराबाद की बायोटेक
कोवाक्सिन को हैदराबाद की भारत बायोटेक ने आईसीएमआर और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर विकसित किया है। जानवरों पर इसका ट्रायल हो चुका है। एम्स के साथ ही देश में 12 सेंटर पर इसका परीक्षण होगा। 375 लोगों को वैक्सीन देना है। इनमें 100 लोगों पर परीक्षण हमें करना है और 275 पर अन्य सेंटर करेंगे। वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल तीन चरणों में छह महीने में पूरा होगा। फिलहाल 12 लोगों को बुलाकर स्क्रीनिंग की गई है। इसकी रिपोर्ट आते ही दो लोगों को सबसे पहले शुक्रवार को वैक्सीन का डोज दिया जाएगा।
ह्यूमन ट्रायल के प्रति उत्साह
ह्यूमन ट्रायल की अनुमति मिलते ही लोगों से स्वेच्छा से ट्रायल के लिए रजिस्ट्रेशन करने को कहा गया था। इसके लिए एक ई-मेल जारी किया गया था। रात भर में ही एक हजार से ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन के लिए मेल भेज दिया। रविवार रात तक यह संख्या 1800 को पार कर गई। पूरे देश से लोग ट्रायल के लिए आगे आए हैं। ट्रायल के लिए पूरी तरह स्वस्थ लोगों का ही चयन होगा। इसमें 18 से 55 साल वाले ऐसे लोगों का चयन करेंगे जिन्हें किसी प्रकार की कोई बीमारी न हो। कोरोना भी न हुआ हो। फिलहाल दिल्ली के ही लोगों पर ट्रायल होगा। ताकि फालोअप आसानी से हो सके। समय समय पर इनका ब्लड लेकर परीक्षण करते रहना होगा।
सुरक्षा पर रहेगा फोकस
पहले चरण में फोकस सुरक्षा पर रहेगा। इसके साथ ही वैक्सीन कितनी प्रभावित है इसका परीक्षण होगा। उसके बाद फेज टू में सैंपल साइज 450 हो जाएगा। इसका रिजल्ट आने के बाद तीसरा और फाइनल चरण शुरू होगा। इसमें हजारों लोगों पर परीक्षण करने के साथ ही यह देखा जाएगा कि एंटीबाडी कितना बन रहा है। इस दौरान हर मरीज का हम छह महीने तक फालोअप करते रहेंगे।