गर्भवती 70 किलोमीटर पैदल चली
लॉक डाउन की वजह से अनीता को अस्पताल ले जाने के लिए कोई गाडी मौजूद नहीं थी, इसलिए अनीता के साथ मौजूद महिला ने सड़क पर ही बच्चे को जन्म देने में अनीता की मदद की। बच्चे को जन्म देने के बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस को घटना की खबर दी, जिसके बाद पुलिस उप निरीक्षक ने एक निजी एम्बुलेंस का इंतजाम किया। एम्बुलेंस में अनिता को रामायमपेट के एक सरकारी अस्पताल ले जाया गया।
प्रसव के बाद मिली एम्बुलेंस
जानकारी के अनुसार पैदल छत्तीसगढ़ जा रहे 7 सदस्यीय इस समूह में एक और 5 महीने की गर्भवती महिला भी शामिल थी, जिसे भी एम्बुलेंस में अस्पताल ले जाया गया है। रामयमपेट के सर्किल इंस्पेक्टर नागार्जुन गौड़ ने बताया कि स्थानीय लोगों से इस घटना के बारे में जानकारी मिलने के बाद उप निरीक्षक ने एम्बुलेंस को बुलाया और महिला और नवजात दोनों को सरकारी अस्पताल ले जाया गया। उन्होंने बताया कि अब दोनों स्वस्थ हैं।
एक बालिका की हो गई थी मौत
पिछले महीने भी इसी प्रकार की एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई थी, जिसमें तेलंगाना से पैदल छत्तीसगढ़ जा रही एक 12 वर्षीय मासूम की मौत हो गयी। यह नन्ही बच्ची तेलंगाना के जयशंकर भुपालपल्ली जिले में मिर्च के खेतों में काम करती थी और लॉक डाउन की वजह से वो अन्य प्रवासी मजदूरों के साथ 3 दिन तक पैदल चल कर छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में स्थित अपने घर लौट रही थी कि घर लौटने से करीब एक घंटे पहले ही भूक-प्यास और थक हार कर सड़क पर ही उसक प्राण पखेरु हो गए।