scriptकांग्रेस, टीडीपी, भाकपा और तेलंगाना जन समिति का गठबंधन 21 पर सिमटा, प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटे केसीआर | Opposition parties alliance got shatterd in telangana by TRS | Patrika News

कांग्रेस, टीडीपी, भाकपा और तेलंगाना जन समिति का गठबंधन 21 पर सिमटा, प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटे केसीआर

locationहैदराबाद तेलंगानाPublished: Dec 11, 2018 07:23:02 pm

Submitted by:

Brijesh Singh

देश का सबसे युवा प्रदेश तेलंगाना मंगलवार को गुलाबी रंग में रंग गया। केसीआर के नाम से मशहूर तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) के नेता के. चंद्रशेखर राव का जादू ऐसा चला कि विपक्ष चारों खाने चित हो गया और प्रदेश के कोने-कोने में गुलाबी झंडा लहरा उठा।

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राजीव मिश्रा


हैदराबाद। देश का सबसे युवा प्रदेश तेलंगाना मंगलवार को गुलाबी रंग में रंग गया। केसीआर के नाम से मशहूर तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) के नेता के. चंद्रशेखर राव का जादू ऐसा चला कि विपक्ष चारों खाने चित हो गया और प्रदेश के कोने-कोने में गुलाबी झंडा लहरा उठा। तमाम चुनावी भविष्यवाणियों को झुठलाते हुए राज्य की कुल 119 विधानसभा सीटों में से 87 सीटें जीतकर टीआरएस प्रचंड बहुमत के साथ लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज हो गई। सुबह 9.30 बजे तक ही केसीआर की पार्टी 82 सीटों पर बढ़त बनाकर तीन-चौथाई बहुमत की ओर अग्रसर हो गई थी। खासियत यह रही कि शुरुआती रुझान परिणाम में बदलते गए और कभी ऐसी नौबत नहीं आई जब टीआरएस का ग्राफ नीचे गया हो।

 

एमआईएम का प्रभावशाली प्रदर्शन

हालांकि, पहली जीत एआइएमआइएम के खाते में गई और चंद्रायनगुट्टा से अकबरुद्दीन ओवैसी ने भाजपा प्रत्याशी सैयद शहजादी को 80 हजार 224 मतों से हराकर खाता खोला। टीआरएस नेता केसीआर स्वयं गजवेल विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी वी. प्रताप रेड्डी को 56 हजार 742 मतों से हराकर विजयी हुए। वहीं, उनके भतीजे एवं सिंचाई मंत्री टी. हरीश राव की सिद्धिपेट विधानसभा क्षेत्र से 1 लाख 18 हजार 699 मतों से जीत खास रही। वे लगातार छठी बार (दूसरा हैट्रिक) विधानसभा के लिए चुने गए। यहां से बाकी सभी पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।

 

तेलंगाना रहा सत्ता विरोधी लहर से अछूता

चुनाव आयोग ने राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम के साथ विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा की, जिसका लाभ भी केसीआर को मिला। भाजपा के खिलाफ अन्य राज्यों की सत्ता विरोधी लहर तेलंगाना में भी देखने को मिली। दक्षिण में पांव जमाने की कोशिश कर रही भाजपा विधायकों की संख्या 5 से घटकर 1 पर सिमट गई। दरअसल, पिछली बार भाजपा तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी जिसका लाभ दोनों पार्टियों को मिला था। जहां टीडीपी को पिछली बार 15 सीटें मिली थीं, इस बार घटकर 2 रह गई। कांग्रेस की सीटें भी 21 से घटकर 19 रह गई। जहां केसीआर का समय पूर्व चुनाव करने का दावं सटीक रहा वहीं कांग्रेस का टीडीपी के साथ गठबंधन भारी पड़ा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर कांग्रेस टीडीपी के साथ गठबंधन नहीं करती तो उसे बेहतर परिणाम मिल सकते थे।

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