एमआईएम का प्रभावशाली प्रदर्शन
हालांकि, पहली जीत एआइएमआइएम के खाते में गई और चंद्रायनगुट्टा से अकबरुद्दीन ओवैसी ने भाजपा प्रत्याशी सैयद शहजादी को 80 हजार 224 मतों से हराकर खाता खोला। टीआरएस नेता केसीआर स्वयं गजवेल विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी वी. प्रताप रेड्डी को 56 हजार 742 मतों से हराकर विजयी हुए। वहीं, उनके भतीजे एवं सिंचाई मंत्री टी. हरीश राव की सिद्धिपेट विधानसभा क्षेत्र से 1 लाख 18 हजार 699 मतों से जीत खास रही। वे लगातार छठी बार (दूसरा हैट्रिक) विधानसभा के लिए चुने गए। यहां से बाकी सभी पार्टी के उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।
तेलंगाना रहा सत्ता विरोधी लहर से अछूता
चुनाव आयोग ने राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और मिजोरम के साथ विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा की, जिसका लाभ भी केसीआर को मिला। भाजपा के खिलाफ अन्य राज्यों की सत्ता विरोधी लहर तेलंगाना में भी देखने को मिली। दक्षिण में पांव जमाने की कोशिश कर रही भाजपा विधायकों की संख्या 5 से घटकर 1 पर सिमट गई। दरअसल, पिछली बार भाजपा तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी जिसका लाभ दोनों पार्टियों को मिला था। जहां टीडीपी को पिछली बार 15 सीटें मिली थीं, इस बार घटकर 2 रह गई। कांग्रेस की सीटें भी 21 से घटकर 19 रह गई। जहां केसीआर का समय पूर्व चुनाव करने का दावं सटीक रहा वहीं कांग्रेस का टीडीपी के साथ गठबंधन भारी पड़ा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर कांग्रेस टीडीपी के साथ गठबंधन नहीं करती तो उसे बेहतर परिणाम मिल सकते थे।