किशन रेड्डी तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। साथ ही ३ बार विधायक भी चुने गए हैं। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में वे महानगर की अम्बरपेट विधानसभा से बहुत कम मतों से चुनाव हार गए थे, फिर भी भाजपा ने रेड्डी को लोकसभा में उतारने का निर्णय लिया, जो सही भी साबित हुआ। उन्हें टीआरएस के बड़े नेता और राज्य में मंत्री तलसानी श्रीनिवास के बेटे साई किरण से मुकाबला करने कहा गया। मंत्री तलसानी की तेलंगाना में अच्छी पकड़ मानी जाती है। हालांकि सिकंदराबाद लोकसभा सीट पहले ही भाजपा के पास थी। वहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय चुनाव जीते थे। इसके बावजूद सिकंदराबाद में काटे की टक्कर हुई और किशन रेड्डी चुनाव जीतने में सफल रहे।
किशन रेड्डी से पहले यहां के सांसद बंडारू दत्तात्रेय को नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री पद मिला था। किशन रेड्डी की वरिष्ठता को देखते हुए तेलंगाना में चर्चाएं गरम हैं कि आगामी मोदी मंत्रिमंडल में किशन को भी एक मंत्री पद मिल सकता है। हालांकि भाजपा में कोई खुल कर इस विषय पर बात करने की हिम्मत नहीं जुटा रहा है लेकिन सोशल मीडिया और व्हाटसएप ग्रुपों की आड़ में नाम उछालने की शुरुआत तेलंगाना में भी हो चुकी है।
दूसरी तरफ प्रतिष्ठित निजामाबाद सीट पर मुख्यमंत्री केसीआर की बेटी, सांसद कविता को धर्मपुरी संजय ने पटखनी दी है। यह सीट जीतना भाजपा के लिए आसान नहीं था। भाजपा ने पिछले साल विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था फिर भी के.कविता जैसी एक मजबूत और सक्रिय नेता को हरा कर संजय ने शानदार जीत दर्ज की है। ऐसे में संजय का दावा भी मजबूत माना जा रहा है। वैसे तेलंगाना के दो सांसदों को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की चर्चाएं हैं। इन दोनों ही सांसदों की जीत भाजपा के लिए काफी मायने रखती है। यूं भी दक्षिण में भाजपा को कदम जमाने और विधानसभा में ख़ुद को स्थापित करने के लिए भविष्य में पार्टी का आधार अभी से तैयार करना है, इसी आधार पर माना जा रहा है कि एक सांसद को वरिष्ठता के आधार पर तो दूसरे को संघर्ष और शानदार जीत के कारण मंत्री पद से नवाजा जा सकता है।