रायपुर

खतरनाक हो रहा है घर पर ही इलाज करना

स्थिति खतरनाक है ‘हर बुखार कोरोना हो सकता है’

रायपुरApr 10, 2021 / 03:55 pm

Gulal Verma

खतरनाक हो रहा है घर पर ही इलाज करना

बलौदा बाजार। जिले में कोरोना संक्रमितों की बढ़ती संख्या के पीछे एक बड़ा कारण लोगों का स्वयं डॉक्टर बन जाना है। देखा जा रहा है कि बुखार आने या कोरोना के अन्य लक्षण दिखाई देने के बाद भी लोग दो-तीन दिन उसका घर पर ही इलाज कर रहे हैं तथा बाद में स्थिति बिगडऩे पर अस्पताल की ओर दौड़ रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर में एक बड़ी वजह यह पता चल रही है। कुछ वर्ष पूर्व मलेरिया के लिए स्वास्थ्य विभाग का स्लोगन ‘हर बुखार मलेरिया हो सकता है’ अब कोरोना पर लागू हो रहा है तथा इसे ‘हर बुखार कोरोना हो सकता है’ के रूप में भी समझ सकते हैं। चिकित्सकों ने भी हालत बिगडऩे का इंतजार ना करने की सलाह देते हुए कोरोना के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल इसकी जांच कराए जाने की बात कही है।
जिले में कोविड-19 संक्रमित मरीजों की संख्या पर यदि गौर किया जाए तो 3 अप्रैल को 74, 4 अप्रैल को 147, 5 अप्रैल को 168, 6 अप्रैल को 209, 7 अप्रैल को 465 तथा 8 अप्रैल को 619 मरीजों की पहचान की जा चुकी है। यानी महज छह ही दिनों में ही कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 1682 हो चुकी है। जिले में संक्रमित मरीजों की यह संख्या यह बताती है कि कोरोना की दूसरी लहर जिले में बेहद खतरनाक साबित होती नजर आ रही है, जिससे चिकित्सक भी चिंतित हैं। एक ही दिन में इतनी अधिक संख्या में कोरोना संक्रमित मरीज बीते वर्ष जब कोरोना अपने चरम स्थिति पर था तब भी नहीं निकल रहे थे।
जिले में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या के साथ ही साथ इस बार जिले में मरीजों की मौत की संख्या भी बढ़ रही है। वहीं, रिकवरी रेट भी कम हो गया है, जिसका बड़ा कारण लोगों की लापरवाही है। जिले में इस बार कोरोना की चपेट में आने वाले लोगों में बड़ी संख्या युवाओं की है। 22 से 32 वर्ष के बीच के युवा कोरोना की दूसरी लहर में जल्दी चपेट में आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बार लोग कोरोना के प्रति ज्यादा लापरवाह हैं तथा लक्षण नजर आने पर घरेलू उपचार, केवल मेडिकल स्टोर्स से दवा लेकर या किसी झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करा रहे हैं। नजीता जब स्थिति बिगड़ जाती है तब वे हॉस्पिटल भाग रहे हैं, तब तक ऑक्सीजन लेवल काफी कम हो जाता है, जिसकी वजह से कोरोना से होने वाली मौत की संख्या बढ़ रही है।
युवाओं में अधिक लापरवाही
कोरोना की दूसरी लहर में युवाओं द्वारा खासी लापरवाही बरती जा रही है। जिले में कोरोना का संक्रमण बढऩे के बावजूद युवाओं को व्यर्थ घूमते हुए तथा चौक-चौराहे, जूस सेंटर, आइसक्रीम सेंटर में समूह में इकट्ठे हुए देखा जा सकता है। कोविड के लक्षण आने पर भी युवा अपने को कमजोर मानने को तैयार नहीं होते हैं, जिसकी वजह से मरीज की स्थिति जल्दी बिगड़ती जाती है। कोविड हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ. शैलेन्द्र साहू ने बताया कि कई युवा मरीजों की हालत कोविड हॉस्पिटल तक आते-आते बिगड़ जाती है। ऑक्सीजन लेवल भी 30-35 तक हो जाता है जिसकी वजह से रिकवरी में अधिक समय लगता है। यदि ये मरीज तत्काल हॉस्पिटल आ जाएं तो ज्यादा बेहतर होगा तथा डॉक्टर को भी इलाज के लिए अधिक समय मिल जाएगा।
कोविड हॉस्पिटल, आईसीयू सभी हैं फुल
जिले में कोरोना संक्रमण का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिला मुख्यालय के 73 मरीजों की क्षमता वाले कोविड हॉस्पिटल में वर्तमान में 257 मरीज हैं, जिसमें से 100 से ज्यादा मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। हॉस्पिटल में 8 आईसीयू तथा 6 एक अन्य छोटा आईसीयू है, परंतु वर्तमान में सभी 14 आईसीयू फुल हंै। 170 मरीजों की क्षमता वाले संकरी का कोविड केयर सेंटर वर्तमान में फुल है, वहीं 68 मरीजों की क्षमता वाले सिमगा के कोविड केयर सेंटर में वर्तमान में 126 मरीज हैं। नगर के कोविड हॉस्पिटल में प्रतिदिन 250 से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर की खबत हो रही है, परंतु जितनी तेजी से मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, उससे स्वास्थ्य विभाग चिंतित है। जिले में मरीजों की संख्या को देखते हुए जल्द ही भाटापारा, कसडोल में भी कोविड केयर सेंटर को प्रारंभ किया जा सकता है।
घर पर ही इलाज है खतरनाक
शासकीय चिकित्सक डॉ. राकेश प्रेमी तथा कोविड हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ. शैलेन्द्र साहू ने फिर से लोगों से अपील करते हुए कहा कि ज्यादा बेहतर है कि लोग स्वयं डॉक्टर ना बनें। किसी भी प्रकार का बुखार होने पर या कोरोना के किसी भी प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर घरेलू उपचार या किसी झोलाछाप डॉक्टर से इसका बिल्कुल भी इलाज ना कराएं, बल्कि तत्काल कोरोना टेस्ट कराएं। जिस तेजी से संक्रमण फैल रहा है, ऐसी स्थिति में कोरोना का घर पर ही इलाज करना काफी खतरनाक है। इससे मरीज की स्थिति और बिगड़ सकती है।
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