छत्तीसगढ़ वह राज्य है, जहां लोहा, कोयला, बॉक्साइट आदि की उपलब्धता बहुत अधिक है। यही कारण है कि यहां सीमेंट, आयरन से जुड़े उद्योग बहुतायत में है। इस इलाके में जितना भी प्रदूषण है, उसकी देन यही उद्योग है।
रायपुर•Nov 08, 2019 / 07:38 pm•
bhemendra yadav
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छत्तीसगढ़ सरकार ने तो कम प्रदूषण फैलाने वाले छोटे और मंझोले उद्योगों को प्राथमिकता देने का मन बना लिया है और इसके लिए उद्योग नीति में भी संशोधन किए जाने की तैयारी है। साथ ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पैरा (पराली) को जलाने की जगह इससे कम्पोस्ट खाद में बदलने का काम करना होगा। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और जैविक खेती को भी अपनाया जा सकेगा।
सीएम बघेल ने जैविक खेती पर दिया जोर
दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में पर्यावरण प्रदूषण को लेकर बघेल ने चिंता जताई और कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए मनरेगा योजना को कृषि कार्य से जोडऩा होगा, पैरा (पराली) को जलाने की जगह इससे कम्पोस्ट खाद में बदलने का काम करना चाहिए। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और जैविक खेती को भी अपना सकेंगे।