मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि अधिकांश लोगों के जीवन में इस तरह के संकट का सामना करने का यह पहला अवसर है, ऐसे समय थकान, नकारात्मकता और अविश्वास का भाव आना स्वाभाविक है। किंतु यही समय हमारे आत्मबल, संयम और विश्वास की परीक्षा का भी है। मैं भाग्यशाली हूँ कि मैं एक ऐसे राज्य का मुख्यमंत्री हूँ, जहाँ की जनता में इतना संयम और अनुशासन है कि राज्य में लॉकडाउन का पालन कराने के लिए हमारी पुलिस को बल प्रयोग का सहारा नहीं लेना पड़ा। लोगों ने हमारी बात को सुना है और अति आवश्यक होने पर ही घर से निकले हैं।
जनता के संयम व अनुशासन से मिली शक्ति
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की जनता का यह संयम और अनुशासन मुझे भी शक्ति प्रदान कर रहा है। मेरा विश्वास प्रबल कर रहा है कि इस महामारी को जल्दी ही परास्त कर हम फिर से खुली हवा में स्वच्छंदता से विचरण करेंगे। उन्होंने जनता से आग्रह किया कि लॉकडाउन के इस समय का उपयोग रचनात्मक कार्यों में लगाएं। उन्होंने कहा कि यह समय सामाजिक दायित्व भी निभाने का है, अगर आपके आसपास कोई वृद्धजन हो तो उनसे दूरभाष पर चचाज़् करें, उन्हें किसी किस्म की आवश्यकता हो तो उसके बारे में पूछे और उनकी मदद करें।
गरीब-जरूरतमंद की करें मदद
मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन की अवधि में यह भी ध्यान रखना है कि अगर आपके आसपास कोई गरीब, जरूरतमंद परिवार है और उसको खाने-पीने या अन्य किसी तरह की समस्या है तो हम स्वयं उसकी मदद करें या स्वयंसेवी संस्था या सरकार की हेल्पलाईन से मदद लें। यह समय एक दूसरे की मदद करने का है। राज्य सरकार के सभी महकमे आपकी सेवा के लिए तत्पर है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि संकट की इस घड़ी में हम छत्तीसगढ़ में किसी को भूखा नहीं सोने देंगे।
अन्य राज्यों में फंसे मजदूरों की कर रहें मदद
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ के जो श्रमिक भाई-बहन तेलंगाना, केरल, आंध्रप्रदेश या अन्य राज्यों में हैं उनसे भी मेरा आग्रह हैं कि वो वहीं रहे। वहां की राज्य सरकारों से हमारी चर्चा लगातार हो रही हैं। वो आपके रहने, खाने-पीने का सभी प्रबंध कर रहे हैं। यहाँ रह रहे परिवारजनों के लिए भी आपको चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। हम उनका भी ख्याल रख रहे हैं। हम किसी का रोजगार किसी की नौकरी नहीं जाने देंगे। मैंने नियोक्ताओं से भी आग्रह किया है कि वे इस संकट के समय में अपने कमज़्चारियों, श्रमिकों का पूरा वेतन देते रहे।