इंडियन रीजनल

नियमों को ताक पर रखकर सरकारी निर्माण एजेंसी काट रहे रॉयल्टी

पिछले लंबे समय से चल रहा खेल, अब फंस रहा पेंच

Nov 01, 2022 / 08:41 pm

DURGA PRASAD SWARNKAR

पिछले लंबे समय से चल रहा खेल, अब फंस रहा पेंच

रायगढ़। पिछले लंबे समय से जिले के सरकारी निर्माण एजेंसी नियम-कानून को ताक पर रखते हुए रॉयल्टी क्लीसरेंस या जुर्माना लेने के बजाए रायल्टी राशि जमा कर रहे हैं। अब इस मामले में पेंच फंसने लगा है।
नियमानुसार देखा जाए तो कोई भी सरकारी निर्माण एजेंसी व ठेका पद्वति से कोई निर्माण कार्य होता है तो उसमें उपयोग किए गए गौण खनिज के एवज में खनिज विभाग से रॉयल्टी क्लीयरेंस लेना रहता है। रॉयल्टी क्लीयरेंस न होने की स्थिति में संबंधित फर्म का निर्माण एजेंसी को भुगतान रोकने का प्रावधान है। वहीं अति आवश्यक स्थिति में उपयोग किए गए खनिज की मात्रा के हिसाब से रॉयल्टी राशि का तीन गुना राशि भुगतान में रोककर शेष राशि भुगतान करने का प्रावधान है, लेकिन इन नियमों का कोई पालन नहीं कर रहा है। अधिकांश विभागों में यह देखने को मिल रहा है कि सिर्फ रॉयल्टी की राशि काटकर शेष राशि का भुगतान कर दिया गया है। जबकि संबंधित विभाग को रॉयल्टी काटने का अधिकार ही नहीं है। अब इसको लेकर खनिज विभाग में पेंच फंसना शुरू हो गया है। सूत्रों की माने तो ईडी की जांच के बाद अब खनिज विभाग ऐसे मामलों में रॉयल्टी क्लीयरेंस व अन्य फाईलों को रोक कर रही है।
कई प्रोजेक्ट में दिखाया गया कम मात्रा
सूरजगढ़ पुलिया निर्माण में उपयोग किए गए गौण खनिज और उसके एवज में जमा किए गए रॉयल्टी चूकता प्रमाण पत्र के बारे में दस्तावेजों का अवलोकन करने पर पता चला कि निर्माण में जहां चार प्रकार के गौण खनिज का उपयोग किया गया था तो वहीं रॉयल्टी चूकता प्रमाण पत्र महज दो से तीन खनिज का लिया गया था।
मात्रा में भी रहता है अंतर
कई बार तो यह भी देखने को मिल रहा है कि एमबी बूक में जितनी मात्रा गौण खनिज की दिखाई जा रही है उससे कम मात्रा का रॉयल्टी क्लीयरेंस जमा किया गया गया है।

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