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छत्तीसगढ़ में ग्राम सभाओं को मिलेगा सामुदायिक वन संसाधन अधिकार, वन विभाग होगा नोडल विभाग

Published: May 30, 2020 10:32:56 pm

Submitted by:

Shiv Singh

इस समिति का लेखा परीक्षण वन विभाग द्वारा किया जाएगा। लघु वनोपज का संक्रहण, उपयोग एवं निर्वतन छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहाकारी संघ द्वारा किया जाएगा। सामुदायिक वन संसाधन अधिकार क्षेत्र में भी वनोपज की निकासी के लिए परिवहन परमिट वन विभाग द्वारा किया जाएगा।

छत्तीसगढ़ में ग्राम सभाओं को मिलेगा सामुदायिक वन संसाधन अधिकार, वन विभाग होगा नोडल विभाग

छत्तीसगढ़ में ग्राम सभाओं को मिलेगा सामुदायिक वन संसाधन अधिकार, वन विभाग होगा नोडल विभाग

रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप वनांचल में रहने वाले लोगों के जरिए वनों के संरक्षण, प्रबंधन में गांव के लोगों की भागीदारी और लघुवनोपज का उचित दोहन के लिए ग्राम सभाओं को सामुदायिक वन अधिकार दिया जाएगा। इसके क्रियान्वन के लिए पूरी प्रक्रिया तय कर ली गई है। वन विभाग को सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के मामलों के लिए नोडल विभाग बनाया गया है।
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने इस मामले में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम 2006 की धाराओं के तहत सामुदायिक वन संसाधन अधिकार ग्राम सभा को दिया गया है। इसके तहत वन विभाग द्वारा सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई है। इससे वनांचलों में रहने वाले लोगों को वनों के संवर्धन और विकास योजनाओं में भागीदारी निभाने का मौका मिलेगा।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि वन विभाग द्वारा ग्राम सभा को यह अधिकार प्रदान करने के लिए तय की गई प्रक्रिया के अनुसार सामुदायिक वन अधिकार के लिए गांव की पारंपरिक सीमा का निर्धारण किया जाएगा। इस दावे मे एक से अधिक ग्राम सभा भी आ सकते हैं, जो अपना दावा अलग-अलग या संयुक्त तैयार कर सकते हैं। सबसे पहले दावा तैयार करने के लिए ग्राम सभा अपनी वन अधिकार समिति अपने ग्राम की सीमा से लगे समस्त ग्रामों की ग्राम सभा को लिखित में सूचित करेगी। दावा करने वाले ग्राम की वन अधिकार समिति अपने ग्राम की सीमा से लगे वन अधिकार समितियों के अध्यक्षों और सचिवों की बैठक आयोजित करेंगे और ग्राम के सभी बुजुर्गों की पारंपरिक मुखिया जैसे पटेल, गुनिया, बैगा आदि से चर्चा कर नजरी नक्शा सभी ग्रामों के वन अधिकार समितियों की सहमति से तैयार करेंगे।
सामुदायिक वन संसाधन अधिकार क्षेत्र की पारंपरिक सीमा का जीपीएस द्वारा भौतिक सत्यापन और क्षेत्रफल निकालने के लिए तिथ का निर्धारण कर संबंधित ग्रामों के वन अधिकार समितियों तथा उपखंड स्तरीय समितियों सूचित किया जाएगा। सत्यापन के समय वन रक्षक, पटवारी, और पंचायत सचिव भी उपस्थित रहेंगे। दावा ग्राम सभा से पारित होने के बाद उपखंड स्तरीय समिति को भेजा जाएगा। जो अनुशंसा सहित जिला स्तरीय समिति को भेजेगी। जिला स्तरीय समिति द्वारा दावा सही पाए जाने पर अनुमोदन के बाद सामुदायिक वन संसाधन अधिकार का प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
ग्राम सभाओं द्वारा सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति सामुदायिक वन क्षेत्रों में वन, वन्य जीव और जैव विविधता के संरक्षण के लिए काम करेगी। इस समिति में ग्राम सभा के सदस्यों को शामिल किया जाएगा। ग्राम सभा को यह अधिकार होगा कि वह संयुक्त वन प्रबंधन समिति या ग्राम सभा के अपने सदस्यों को नामजद कर सके। इस समिति द्वारा वन विभाग के वर्क प्लान एवं वन्य वन्यप्राणी पबंधन योजना के अनुरूप के प्रबंधन योजना तैयार करेगा। इस प्रबंधन योजना के आधार पर वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण, काष्ट, बांस कूप कटाई, वन वर्धनिक कार्य और वन्य प्राणी प्रबंधन आदि के कार्य किया जाएगा।
सामुदायिक वन सांसाधन का पबंधन एवं वनों पर ग्रामीणों की निर्भरता कम करने के लिए राशि की व्यस्था वन विभाग की योजनाएं कैम्पा, केन्द्रीय योजना, छत्तीसगढ़ राज्य लघुवनोपज संघ, मनरेगा, कलेक्टर सेक्टर तथा अन्य शासकीय विभागों और अन्य स्रोतों से की जाएगी। समिति को आबंटित वन क्षेत्र में वर्किंग प्लान के प्रावधनों के अनुरूप काष्ठ कप के मुख्यपातन, वन वर्धनिक विरलन से प्राप्त होने वाले वनोत्पाद की 20 प्रतिशत राशि एवं बांस कूप के मुख्य पातन, वन वर्धनिक विरलन से प्राप्त होने वाले वनोत्पाद की 100 प्रतिशत राशि लाभांश के रूप में दी जाएगी।
विभागीय वृक्षारोपण में रखरखाव एवं वनों के सुरक्षा कार्य सामुदायिक वन संसाधन प्रबंधन समिति के माध्यम से किया जाएगा। इसके लिए आवश्यक राशि समिति को वन विभाग द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा।

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