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माहे रमजान में लॉकडाउन का पालन करते घरों में रहकर कर रहे इबादत

Published: May 05, 2020 11:35:58 am

Submitted by:

Nakul Sinha

इमाम ने की घर में रहकर इबादत करने की अपील

 Mahe is living in homes in Ramadan following lockdown

इमाम ने की घर में रहकर इबादत करने की अपील

राजनांदगांव / डोंगरगढ़. अल्लाह की इबादत के माहे रमजान में एक ओर जहां घरों में इबादत हो रही है वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन का एहतराम करने की इमामों की गुजारिश का असर भी दिखने लगा है। दूसरे अषरा के पहले दिन भी घरों में ही विशेष इबादत के साथ रोजेदारों ने परिवार के बीच कुराने पाक को पढ़ा और यतीमों को इफ्तारी देने का संकल्प को दोहराया। रोजेदारों ने सुबह आजान के साथ ही नमाज अदा की। गोल बाजार स्थित जामा मस्जिद के इमाम ने बताया कि रमजान का पहला रहमत का अषरा बीते दिनों रुखसत हो गया। दूसरा असरा मगफिरत का यानी 10 दिनों में रोजेदारों में ज्यादा से ज्यादा इबादत करने की ओर बढ़ेगी ताकि उनका रब मगफिरत की राह आसान कर दे। रमजान के पहले अषरे में रोजेदार में ज्यादा से ज्यादा नमाज अदा की और कुरान को तिलावत कर अल्लाह को राजी करने के लिए अपना हर लम्हा इबादत में गुजारा। रहमत का सिलसिला संपन्न होने के बाद आज से मगफिरत के दूसरे अषरे में रोजगार गुनाहों की माफी हासिल करने की तलब भी तेज होगी। रहमत का अषरा संपन्न होने पर इमामों ने दूसरे अषरे में अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगने की अपील की है। इमाम ने कहा कि रमजान का दूसरा आसरा मगफिरत का है उन्होंने विश्वव्यापी कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन का पालन करते हुए अपने अपने घरों में रहे प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन का पालन करें व शारीरिक दूरी का ख्याल रखने की गुजारीश की है।
क्या कहते हैं रोजेदार …..
व्यवसायी सलीम सेठ ने कहा कि रमजान में सब्र का करें पालन। करोना संक्रमण के दौरान माहे रमजान मुबारक ने दस्तक दी है। रहमतों और बरकतों के महीने रमजान मुसलमानों के लिए प्रशिक्षण का महीना है। 1 महीने का रमजान अन्य 11 महीने जिंदगी जीने के आदाब सिखाता है। रोजा आचार, व्यवहार, मानवता, हमदर्द व गमख्वारी का सबक देता है। सब्र का रमजान से गहरा ताल्लुक है बदली परिस्थितियों में सब्र के इस पाक महीने में हमे और भी धैर्य व संयम का सबूत देना है। मो.शेख शलीम ने कहा कि अल्लाह पाक के इनामों और एहसानों में सबसे बड़ा इनाम रमजान उल मुबारक है। यह महीना बरकत और रहमत वाला है। अल्लाह ने रमजान का महीना देकर बंदों पर एहसान किया है। इस माह की फजीलत है कि इसमें अल्लाह पाक अपने बंदो के सवाब सत्तर गुना बढ़ा देता है। इस महीने में जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते है और जहन्नुम के दरवाजे बंद कर दिए जाते है। व्यवसायी सरफराज नवाज का कहना है कि रमजान के रोजे से नेकी के रास्ते पर चलना आसान हो जाता है। रमजान का पाक महीना समाज को पाकीजगी देने के साथ ही जरूरतमंदों की मद्द का भी पैगाम देता है इस महीने में जकात, खैरात, सदका, इमदाद की रकम को जरूरतमंदों को देना जरूरी बनाया गया है।
मेरे लिए पुलिस विभाग में कर्तव्यरत रहकर कार्य करना ही एक समाज सेवा है
बोरतलाव निरीक्षक अब्दुल समीर ने कहा कि मेरे लिए पुलिस विभाग में कर्तव्यरत रहकर कार्य करना ही एक समाज सेवा है, और रहा सवाल माहे रमजान का तो इस माह में रोजे रखना, इबादत करना, लोगों की भलाई करना, परेशान लोगों की सहायता करना ही प्रमुख उद्देश्य होता है जो मैं अपने कर्तव्य के साथ वर्तमान समय में फैले हुए कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सतत कर्तव्यरत रहकर लगातार अंतरराज्यीय चेकपोस्ट बोरतलाव में अपनी सेवा दे रहा हूं और इससे बेहतर मेरे लिए अपने देश और समाज की सेवा, और जन सेवा और इबादत कुछ नहीं है। यही मेरा धर्म भी बताता है और मेरा कर्तव्य मुझे यह करने के लिए प्रेरणा देता है जो में अपने वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में लगातार कर रहा हूँ, ओर अपने आप को सोभाग्यशाली मानता हूं।
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