विकास के आंकड़े
– 889 किलोमीटर लंबे टू लेन हाइवे का निर्माण हो रहा
– 15 फ्लाईओवर, 101 पुल, 2 टनल 12 बायपास रोड
– 56 हजार पेड़ काटे, 1702 एकड़ जंगल जमीन प्रयोग में
टूरिज्म के लिए रोप वे
इकोलॉजिकल दुष्प्रभाव का अध्ययन किए बिना हिल टॉप पर व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए रोप वे बनाए जा रहे हैं। होटल, फूड कोर्ट, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स व पार्किंग भी बनेंगे। वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार रोपवे से ड्रेनेज में बदलाव, मिट्टी का क्षरण व प्रदूषण बढ़ेगा।
कमाई का रोप वे
– 65 रोप वे थे भारत में वर्ष 2018 से पहले
– 2018 में पीपीपी मोड पर रोप वे प्रोजेक्ट की छूट
– 21 नए रोप वे प्रोजेक्ट्स के प्रस्ताव पर काम शुरू
– 11 उत्तराखंड व 10 प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश के हैं
इसलिए तबाही ज्यादा
पेड़ की जड़ व तने पहाड़ के भीतरी हिस्से में मिट्टी को मजबूती से बांधे रखते हैं। जैसे जैसे कट रहे हैं वैसे वैसे पहाड़ कमजोर होते जा रहे हैं। भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। हिमालय से निकलने वाली नदियों में पानी के साथ पत्थर के टुकड़े भी बहाव में आते हैं। यही बांध में गाद के रूप में भर जाता है। इसके बाद जब बांध टूटते हैं तो पानी के साथ बड़ी मात्रा में मलबा व पत्थर आदि भी आता है। यही तबाही की बड़ी वजह बनता है।