script21 हजार की एक्टिवा की लालच में खाते से गायब हो गए डेढ़ लाख रुपए, हाथ मलता रह गया युवक | 1.5 lakh rupees disappeared from the account of Activa's greed | Patrika News

21 हजार की एक्टिवा की लालच में खाते से गायब हो गए डेढ़ लाख रुपए, हाथ मलता रह गया युवक

locationइंदौरPublished: Jul 31, 2019 12:59:07 pm

ओएलएक्स : ठग ने खुद को बताया सीआईएसएफ का जवान

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21 हजार की एक्टिवा की लालच में खाते से गायब हो गए डेढ़ लाख रुपए, हाथ मलता रह गया युवक

इंदौर. ओएलएक्स पर एक्टिवा बेचने के नाम पर एक युवक ठगी का शिकार हो गया। ठग ने खुद को सीआईएसएफ का जवान बताकर युवक को अपना वाहन सस्ते दाम में बेचने का लालच दिया। फिर बहाने से पेटीएम पर रुपए जमा करवा लिए। कुछ ही देर में युवक के खाते से सवा लाख से अधिक राशि निकल गई। इसके बाद उन्हें ठगी का अहसास हुआ। मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।

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टीआई अशोक पाटीदार के मुताबिक फरियादी हिमांशु मिश्रा 26 निवासी सांवेर रोड की शिकायत पर मोबाइल नंबर के खिलाफ सोमवार को धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। पीडि़त ने कुछ समय पूर्व ओएलएक्स पर 23 हजार कीमत की एक्टिवा देखी। बेचने वाले के नंबर पर उन्होंने फोन किया।

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वह खुद को सीआईएसएफ का जवान बताने लगा। उसने खुद की ड्यूटी एयरपोर्ट पर लगेज चेकिंग में होना बताई। इसके बाद ठग ने उन्हें गाड़ी की फोटो भेजी। पसंद आने पर कॉल करने की बात कही। 21 हजार में डील तय हुई। तब ठग ने उन्हें अपनी बातों में फंसा लिया और कहा की आप एयरपोर्ट के अंदर नहीं आ सकते। इसलिए सेंट्रल स्कूल के समीप आ जाएं।

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इस दौरान ठग ने उनसे गाड़ी के कागज तैयार कराने के लिए तीन हजार से अधिक राशि पेटीएम पर बुलवाई। फिर कहा आर्मी कैंंप में तीन गेट हैं। पहला गेट पार करने के बाद दूसरा गेट आएगा। वहां से उसे वाहन लेकर पहुंचने में दस मिनट लगेंगे। पीडि़त को फिर फोन पर फार्म 29 और 30 भरने के लिए दो हजार जमा करवाए। इस दौरान ठग ने नई चाल चली कहा कि वाहन खरीदने के लिए जो बचा पैसा है वो भी ट्रांसफर कर दो।

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गाड़ी एक घंटा चेक कर लेना पसंद नहीं आई तो रुपए वापस हो जाएंगे। यह सुन उन्होंने बाकी का पेमेंट भी भेज दिया। इसके बाद भी ठग नहीं माना वह खाते में अमाउंट पेंडिंग होने की बात कह पीडि़त से रुपए सेंड करवाता रहा। लगभग एक लाख चालीस हजार रुपए पेटीएम पर भेजने के बाद भी उन तक ठग द्वारा भेजा गया वाहन नहीं मिला। जब उन्हें ठग की हरकत पर संदेह हुआ तब तक देरी हो चुकी थी।

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