जिले की ९ विधानसभाआें में ३१०९ बूथ है। इन बूथों के लिए ३४२८ पार्टियों का गठन किया है। एक बूथ पर ४ कर्मचारी होंगे। बूथ सुरक्षा के लिए पुलिस कर्मचारियों की भी ड्यूटी रहेगी। इनकी संख्या करीब ८ हजार होगी। इसके अलावा चुनाव सामग्री वितरण, सेक्टर भ्रमण टीम, बीएलओ, संवेदनशील मतदान केंद्र आदि के लिए भी कर्मचारियों होते हैं। इस तरह पुलिस प्रशासन दोनों की ओर से करीब ३६ हजार सरकारी कर्मचारी चुनाव कार्य में लगेंगे। कर्मचारियों को सेलेरी से अतिरिक्त मानदेय दिया जाता है। इसके अलावा अन्य खर्च भी शामिल होते हैं।
सरकारी अफसर-कर्मचारियों का खर्च
मानदेय की राशि – ७.२ करोड़तीन दिनों की सेलरी – २१ करोड़ मशीनरी व व्यवस्था खर्च – २ से २.५ करोड़ वाहन व परिवहन खर्च कुल वाहनों की संख्या – १२५०
मानदेय की राशि – ७.२ करोड़तीन दिनों की सेलरी – २१ करोड़ मशीनरी व व्यवस्था खर्च – २ से २.५ करोड़ वाहन व परिवहन खर्च कुल वाहनों की संख्या – १२५०
कुल खर्च – ३.६ करोड़ रुपए ……………………………. राजनीतिक दल के उम्मीदवारों का खर्च चुनाव में सरकारी मशीनरी के साथ ही राजनीतिक दलों के उम्मीदवार भी मैदान में उतरते हैं। यह उम्मीदवार नामांकन भरने के बाद २० दिनों तक तो कार्यकर्ताओं के अमले के साथ दिन-रात काम करते है। बीते ६ माह से भी अपनी उम्मीदवारी की दावेदारी के लिए अलग-अलग आयोजनों के माध्यम से ताकत दिखातें हैं। एक उम्मीदवार का चुनाव खर्च सरकारी कागजों पर २८ लाख का ३० से ४० प्रतिशत ही होता है। इस सारी कवायद में अप्रत्यक्ष रुप से होने वाला खर्च ५ करोड़ तक भी जाता है। औसत देखें तो मुख्य पार्टी का उम्मीदवार २.५ से ३ करोड़ रुपए तक अप्रत्यक्ष राशि भी खर्च करता है।
उम्मीदवार का खर्च – कार्यकर्ताओं पर – ३० से ४० लाख – बूथ मेनेजमेंट – २५ से ३० लाख – चुनाव से पहले आयोजनों पर – ७० से ८० लाख – कार्यालय व वाहन व्यवस्था – २० से २५ लाख
– चुनाव से पहले व बाद में प्रचार – प्रसार – २५ से ३० लाख – अन्य व्यवस्थागत खर्च – ५० से ७० लाख ……………………………….. खर्च के प्रमुख तथ्य – बीते पांच सालों में देश में हुए विभिन्न चुनावों का खर्च – १.५० लाख करोड़
– वोट के लिए नोट के फंडे को भूलना होगा चुनाव में खर्च को ले कर हमारे देश में दो तरह की स्थितियां है। एक तो सरकार ने खर्च की सीमा तय कर दी है। दूसरा उम्मीदवार का अप्रत्यक्ष खर्च लगातार बढ़ता ही जा रहा है। हाल ही में सरकार द्वारा जारी आंकड़े ही बताते है, पांच साल में चुनाव का खर्च १३१ प्रतिशत बढ़ गया। जाहिर है, जब सरकार का पैसा ज्यादा खर्च हो रहा है तो उम्मीदवार के लिए तो इस खर्च में और अधिक बढ़ौतरी होना है। आयोग ने रोक लगा कर शो-इन खर्च पर तो लगाम कसी है, लेकिन अप्रत्यक्ष रुप से हो रहे खर्चों के लिए किसी तरह की गाइड लाइन तय नहीं की है।
परिणाम यह हो रहा है, उम्मीदवारों द्वारा बड़े स्तर पर काले धन को सफेद करने की प्रक्रिया इस चुनाव में की जाती है। नेता अपनी जरूरत के हिसाब से अप्रत्यक्ष रूप से पानी की तरह पैसा बहाते हैं। यहां तो एक ही फंडे पर चुनाव होता है, वोट के लिए नोट दो और आगे बढ़ों। चुनाव होने के बाद कह दिया जाता है, अब चुनाव हो गए, इतना खर्च हो होना ही था। चुनाव आयोग इसी प्रवृत्ति को रोकना चाहता। इसके लिए उम्मीदवार व राजनीतिक दलों को खर्च करने से रोकने के बजाय पारदर्शी खर्च प्रणाली को अपनाना होगा। अमेरिका के चुनावों में उम्मीदवार को स्वतंत्रता है, वह अपनी आय और हैसियत के साथ खर्च कर सकता है, लेकिन उसे अपने खर्च को सार्वजनिक तौर पर बताना होगा। वहां सारी प्रक्रिया आन लाइन है। हमारे देश में खर्च की सीमा तय करने का परिणाम उलटा रहा, उम्मीदवार इसी राशि को पूरी तरह से खर्च नहीं कर पाते हैं। अनेक उम्मीदवार तो अपना चुनावी खर्च निर्धारित राशि के ३० प्रतिशत के आसपास रखते हैं। शेष राशि अन्य स्त्रोतों से खर्च करवातें है।
खर्च रोकने की इस कवायद में मतदाता को समझने की जरूरत है। उसे देश के प्रति अपने कर्तव्य को समझते हुए चुनाव के समय मतदान के लिए निकलना पड़ेगा। सवाल यह उठता है, उम्मीदवार को लोगों के सामने आने आप को साबित करने की जरूरत क्यों पड़ रही है? इसके लिए तत्कालिक प्रयासों से सफलता नहीं मिलेगी। सरकार को दूरदर्शी सोच के साथ नीतियां बनाना होगी।
…………… राजनीतिक दलों को सरकार दे खर्च प्रजातंत्र में चुनाव सबसे अहम हिस्सा होता है। आजादी के बाद हमारे यहां चुनाव प्रक्रिया शुरू हुइ। लोगों के वोट से चुनी सरकार बनने लगी। बहुत अच्छी बात है, लोग अपनी सरकार का चयन खुद कर रहे हैं। शुरूआती दौर में तो सब कुछ ठीक रहा। ७० के दशक के बाद चुनाव में जिस तरह से धनाड्य लोगों की रूचि बढ़ी, सारा चुनाव का माहौल बिगड़ गया।
……………………………………… सरकार द्वारा तय दरें टेंट हाउस आयटम्स गेट निर्माण – १० रुपए स्टेज – १३ रुपए
वाटर फ्रूफ पांडाल – ६ रुपए पाइप पांडाल – ५
शामियाना – २ रुपए
वाटर फ्रूफ पांडाल – ६ रुपए पाइप पांडाल – ५
शामियाना – २ रुपए
प्रतिवर्ग फुट चेयर प्लॉस्टिक – ५ रुपए नग
वीआइपी – २५ रुपए नग टेबल – २५ रुपए नग
दरी स्टेंडर्ड साइज – १५ रुपए नग …………….
प्रिटिंग आयटम्स पेपर मुद्रण
ए-फोर साइज एक तरफ – ०.६३ रुपए
दोनों तरफ – ०.७६
वीआइपी – २५ रुपए नग टेबल – २५ रुपए नग
दरी स्टेंडर्ड साइज – १५ रुपए नग …………….
प्रिटिंग आयटम्स पेपर मुद्रण
ए-फोर साइज एक तरफ – ०.६३ रुपए
दोनों तरफ – ०.७६
ए-थी्र
एक तरफ – १.२३ दोनों तरफ – १.२६
फ्लेक्स बोर्ड – १३.२५ रुपए वर्ग फुट फोटो कॉपी
ए – फोर साइज – १ रुपए ए-थ्री साइज – २ रुपए
मशीन का किराया – ४५० से ५०० रुपए प्रतिदिन
एक तरफ – १.२३ दोनों तरफ – १.२६
फ्लेक्स बोर्ड – १३.२५ रुपए वर्ग फुट फोटो कॉपी
ए – फोर साइज – १ रुपए ए-थ्री साइज – २ रुपए
मशीन का किराया – ४५० से ५०० रुपए प्रतिदिन
………………
कपड़ा बेनर – २० प्रति मीटर झंडा साइज के अनुसार – ४.२५ से ४२ रुपए
झंडा रेशमी – १५ से १५० रुपए नेहरू टोपी – ४ रुपए
कट आउट – १२०० होर्डिंग विथ फ्रेम – २२००
हाई-फाई पब्लिक एड्रेसिंग सिस्टम – २६०००
कपड़ा बेनर – २० प्रति मीटर झंडा साइज के अनुसार – ४.२५ से ४२ रुपए
झंडा रेशमी – १५ से १५० रुपए नेहरू टोपी – ४ रुपए
कट आउट – १२०० होर्डिंग विथ फ्रेम – २२००
हाई-फाई पब्लिक एड्रेसिंग सिस्टम – २६०००
एलइडी टीवी सिस्टम के साथ – ४०२००
एयर कंडीशनर – ८००० सभी प्रति नग
डिजिटल बोर्ड – ९०० रुपए वर्गफुट नाश्ता व भोजन का खर्च चाय कट – ५ रुपए
काफी कट – ७ रुपए
एयर कंडीशनर – ८००० सभी प्रति नग
डिजिटल बोर्ड – ९०० रुपए वर्गफुट नाश्ता व भोजन का खर्च चाय कट – ५ रुपए
काफी कट – ७ रुपए
पोहा/कचौरी/ समोसा – ७ रुपए नग
जलेबी – १०० रुपए किलो खमण पेकेट – ८ रुपए
साग-पूड़ी – ३० से ३५ रुपए प्रति पेकेट लंच पेक – ६० से ७० रुपए
दाल बाफला डालडा – ८० से ९० रुपए
जलेबी – १०० रुपए किलो खमण पेकेट – ८ रुपए
साग-पूड़ी – ३० से ३५ रुपए प्रति पेकेट लंच पेक – ६० से ७० रुपए
दाल बाफला डालडा – ८० से ९० रुपए
दाल बाफला शुध्द – ११० से १२० रुपए
नमकीन लोकल – ८० से ९० रुपए किलो नमकीन ब्रांडेड – १७० से २०० रुपए किलो
फरियाली – १०० से १२० रुपए पानी का जार – २० से ३० रुपए प्रति नग
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नमकीन लोकल – ८० से ९० रुपए किलो नमकीन ब्रांडेड – १७० से २०० रुपए किलो
फरियाली – १०० से १२० रुपए पानी का जार – २० से ३० रुपए प्रति नग
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ढोल – ४००
बैंड – ५५०० ऑटो – ७०० से १२००
प्रति दिन गेस्ट हाउस
कमरा नान एसी – ८५० एसी – १२००
बैंड – ५५०० ऑटो – ७०० से १२००
प्रति दिन गेस्ट हाउस
कमरा नान एसी – ८५० एसी – १२००