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इंदौर आंख फोड़वा कांड : 11 नहीं 13 मरीजों ने गंवाई रोशनी, दो की चुपचाप निकाल दी आंखें

locationइंदौरPublished: Aug 19, 2019 08:51:30 am

आंख चाहिए या जान कहकर निकाल दी आखें

indore eye hospital

इंदौर आंख फोड़वा कांड : 11 नहीं 13 मरीजों ने गंवाई रोशनी, दो की चुपचाप निकाल दी आंखें

इंदौर. इंदौर नेत्र चिकित्सालय में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद सिर्फ 11 मरीजों की आंखों की रोशनी नहीं गई। इससे पहले 5 अगस्त को हुए तीन ऑपरेशन के बाद भी दो अन्य मरीजों मुन्नीबाई रघुवंशी (60) निवासी शुभम पैलेस कॉलोनी स्कीम नंबर 51 और राधाबाई यादव (45) निवासी पवनपुरी कॉलोनी की आंखों में संक्रमण हो चुका था।
केस इतना बिगड़ चुका था कि दोनों की आंख तक निकालनी पड़ गई। मामला उजागर न हो इसके लिए यह काम गुपचुप तरीके से बिना नियमों का पालन किए हुआ। जिम्मेदारों ने इसके बाद भी ओटी बंद नहीं की। इसका नतीजा यह हुआ कि 8 अगस्त को हुए 14 मरीजों का ऑपरेशन में भी 11 की रोशनी चली गई। अस्पताल ने मामला दबाए रखा। यहां तक की स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी तीन दिन तक मौन रहे।
गलती छुपाने फ्री में निकाल दी आंख
मुन्नीबाई के नाती शुभम ने बताया, जांच में दाई आंख में मोतियाबिंद बताया गया। ऑपरेशन के बाद कुछ भी नहीं दिख रहा था। ठीक जवाब नहीं मिलने पर दूसरे डॉक्टर को दिखाया, उन्होंने पस भरने की बात कही। नानी को काफी दर्द हो रहा था। वापस इंदौर नेत्र चिकित्सालय पहुंचने पर डॉ. सुभाष बांडे ने कहा, जान बचाने के लिए आंख निकालनी पड़ेगी। कुछ दस्तावेज पर दस्तखत कराने के बाद तीन दिन बाद ऑपरेशन कर आंख निकाल ली गई। पहले ऑपरेशन में 15 हजार रुपए खर्च हुए, लेकिन बाद में नि:शुल्क ऑपरेशन कर आंख निकाली गई।
आंख चाहिए या जान कहकर किया ऑपरेशन
राधाबाई के बेटे मनीष और भाई अजय ने बताया, 5 अगस्त को ऑपरेशन बिगडऩे के बाद 4-5 दिन तक इलाज चला। बाद में कहा, आंख चाहिए या जिंदगी। हमने डॉ. पीएस हार्डिया को दिखाया, उन्होंने भी पस दिमाग में जाने की बात कहकर जान का खतरा बताया। 14 अगस्त को दोबारा अस्पताल लौटे और ऑपरेशन कर आंख निकाली गई।
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स्वास्थ्य विभाग के दावे की खुली पोल
एक मरीज का ऑपरेशन 8 अगस्त को किया गया, वहीं दूसरे का 14 को। 5-6 अगस्त को मामला प्रकाश में आने के बाद ओटी बंद नहीं की गई। राधाबाई के परिजन ने 14 अगस्त को ऑपरेशन का दावा किया है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने 13 अगस्त को ओटी सिल करने की बात कही थी। इसका सीधा मतलब है कि ओटी सिल करने का दावा झूठा था।
ऐसे ही नहीं निकाल सकते किसी की भी आंख
आंख निकालने के लिए 3 सर्जन की रिपोर्ट लेने के साथ पांच परिजन के साइन लिए जाते हैं। अस्पताल प्रबंधन ने इन नियमों का पालन नहीं किया।
कितने ऑपरेशन हुए अगस्त में, होगी जांच
मुन्नीबाई के परिजन ने मुझसे संपर्क किया था, इसके बाद दोनों को चोइथराम नेत्रालय भेजा गया। दोनों मरीजों को मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा घोषित मुआवजा दिया जाएगा, साथ ही आगे का पूरा इलाज नि:शुल्क होगा। अस्पताल में अगस्त में कितने ऑपरेशन हुए और उन मरीजों की हालत के बारे में जानकारी भी निकाली जा रही है।
तुलसी सिलावट, स्वास्थ्य मंत्री
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