साइंटिफिक मेथड का इस्तेमाल
सर्वे के लिए बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी की सर्वे मेथड का इस्तेमाल किया गया। इसे लाइन ट्रांजेक्ट मेथड कहते हैं। इसमें सबसे पहले दो जगह चुनी गईं और दोनों के लिए अलग – अलग टीमें बनाई गईं। बड़ोदिया दौलत जाने वाली टीम का नेतृत्व राजेश मंगल ने किया और कजली गढ़ की टीम का नेतृत्व सुरेन्द्र बागड़ा ने किया। इसमें जो भी इलाका चुना जाता है वो कम से कम दो किलोमीटर का होना जरूरी होता है। इस इलाके में हर २०० मीटर की एक चेकलिस्ट बनाई जाती है।
सर्वे के लिए बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी की सर्वे मेथड का इस्तेमाल किया गया। इसे लाइन ट्रांजेक्ट मेथड कहते हैं। इसमें सबसे पहले दो जगह चुनी गईं और दोनों के लिए अलग – अलग टीमें बनाई गईं। बड़ोदिया दौलत जाने वाली टीम का नेतृत्व राजेश मंगल ने किया और कजली गढ़ की टीम का नेतृत्व सुरेन्द्र बागड़ा ने किया। इसमें जो भी इलाका चुना जाता है वो कम से कम दो किलोमीटर का होना जरूरी होता है। इस इलाके में हर २०० मीटर की एक चेकलिस्ट बनाई जाती है।
हर दो सौ मीटर में दाएं और बाएं पक्षियों को देखा जाता है । कभी कभी पक्षी दिखाई नहीं देता लेकिन उसकी आवाज सुनाई पड़ती है तो उये पक्षी दिखे सर्वे में सका ब्योरा भी दर्ज किया जाता है। अंत में सारी चेकलिस्ट का मिलान कर फाइनल लिस्ट बनाई जाती है। इस तरह का सर्वे साल में तीन बार किया जाता है। ये सर्वे इस साल का दूसरा था तीसरा सर्वे सितंबर में किया जाएगा। पिछला सर्वे जो जनवरी में हुआ था उसमें बर्ड काउंट तो ५०० ही था लेकिन प्रजातियां ९३ थीं इस सर्वे में ११० प्रजातियां मिलीं।
शहर के अंदर भले ही हमें पक्षी देखने को न मिली हो लेकिन शहर से लगे हुए कुछ बाहरी इलाकों में जहां अब भी वृक्ष बड़ी संख्या में हैं, वहां पक्षी भी बड़ी तादाद में मौजूद हैं। यहां स्थानीय ही नहीं माइग्रेटरी बड्र्स भी आते हैं। शहर के पक्षी प्रेमियों की संस्था वाइल्ड लाइफ एंड नेचर कंजरवेंसी सोसायटी के सदस्यों ने इस संडे को दो जगहों पर सर्वे किया जिसमें ११० प्रजातियों के ४९९ पक्षी मिले। ये सर्वे कजलीगढ़ और कनाडि़या रोड पर गांव बड़ोदा दौलत में किया गया। बड़ोदा दौलत में ५९ प्रजातियां और ३५७ पक्षी मिले वहीं कजलीगढ़ में ५० प्रजातियों के १४५ पक्षी मिले।
ये पक्षी दिखे सर्वे में
कजलीगढ़ में घना जंगल है इसलिए यहां वृक्षों पर रहने वाली पक्षी ज्यादा हैं। यहां एशियन पेराडाइज फ्लाइकेचर, ओरिएंटल वाइट आईड बजर्ड, क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, मिनिवेट, वुडपेकर, ब्लैक नेपमोनार्क, टिकटेल ब्लू फ्लाईकेचर आदि। ग्राम बड़ोदा दौलत में तालाब है इसलिए यहां जलीय पक्षी भी बड़ी संख्या में मिले जिनमें कोम डक, वाइट पेंटेड स्टॉर्क, स्पूनबिल, वॉलीनेक स्टॉर्क, रेडशेंक, सैंडपाइपर्स आदि। इनके साथ ही यहां रेड कॉलर्ड डव, रोजी स्टर्लिंग, हुप्पी और इजिप्शियन वल्चर भी नजर आया।
कजलीगढ़ में घना जंगल है इसलिए यहां वृक्षों पर रहने वाली पक्षी ज्यादा हैं। यहां एशियन पेराडाइज फ्लाइकेचर, ओरिएंटल वाइट आईड बजर्ड, क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, मिनिवेट, वुडपेकर, ब्लैक नेपमोनार्क, टिकटेल ब्लू फ्लाईकेचर आदि। ग्राम बड़ोदा दौलत में तालाब है इसलिए यहां जलीय पक्षी भी बड़ी संख्या में मिले जिनमें कोम डक, वाइट पेंटेड स्टॉर्क, स्पूनबिल, वॉलीनेक स्टॉर्क, रेडशेंक, सैंडपाइपर्स आदि। इनके साथ ही यहां रेड कॉलर्ड डव, रोजी स्टर्लिंग, हुप्पी और इजिप्शियन वल्चर भी नजर आया।