त्रिशला गृह निर्माण संस्था का 2008-09 में सहकारिता विभाग के अधिकारी राजेंद्रसिंह ठाकुर ने ऑडिट किया था। ऑडिट रिपोर्ट में संस्था के पास पिपल्याहाना में महज 25.23 एकड़ जमीन दर्ज है। वर्ष 2012-13 के ऑडिट नोट में संस्था के पास पिपल्याहाना में 45.28 एकड़ जमीन बताई गई थी।दोनों ऑडिट नोट में खजराना में जमीन का उल्लेख नहीं है। जमीन खरीदी के प्रपत्र में भी खजराना की जमीन खरीदी संबंधी दस्तावेज नहीं हैं। जबकि, 18 मार्च 2011 को एक अनुबंध त्रिशला गृह निर्माण सहकारी संस्था और ग्लोरिशाइन डेवलपर्स एंड कंस्ट्रक्शन प्रा. लिमिटेड, मुंबई के बीच हुआ था। इस अनुबंध में संस्था की ओर से दिलीप सिसौदिया को अध्यक्ष बताया गया था, जबकि कंपनी की ओर से अतुल सुरेश खंडेलवाल ने बतौर डायरेक्टर हस्ताक्षर किए थे। ये अनुबंध खजराना की सर्वे नंबर 172, 172/2, 173 और 174/3 की 15 एकड़ (60702 वर्गमीटर) जमीन के लिए हुआ था। अनुबंध में दर्ज है कि ये जमीन 14 मार्च 2007 और 1 फरवरी 2008 को खरीदी गई थी। यदि संस्था ने इस जमीन को खरीदा था तो वर्ष 2008-09 के ऑडिट नोट और उसके बाद के सालों के ऑडिट में संस्था की जमीन का उल्लेख होना था, लेकिन किसी भी रिकॉर्ड में ये जमीन नहीं है।
मां-बेटे संचालक त्रिशला गृह निर्माण संस्था में दीपक मद्दा ही नहीं, उनका पूरा परिवार सदस्य रहा है। दीपक के परिवार से सरोज आनंदीलाल, कमलेश आनंदीलाल, नीलेश आनंदीलाल, दिलीप सिसौदिया भी सदस्य हैं। इसके साथ ही मद्दा के खास नरसिंह गुप्ता के घर से भी रेखा गुप्ता, शीला गुप्ता, श्यामा गुप्ता, गोविंद गुप्ता, योगेश गुप्ता, जगदीश गुप्ता सदस्य हैं। संस्था में दीपक और उनकी मां सरोज संचालक मंडल में रहे हैं।
संस्था में गड़बडि़यों को लेकर पूर्व में हमने एफआइआर करवाई थी, यदि और भी गड़बड़ी है तो हम उस पर भी कार्रवाई करेंगे। – एमएल गजभिए, उपायुक्त सहकारिता