मंदिर के पुजारी पं गणेशप्रसाद पुराणिक एवं पं दीपेश-मयंक पुराणिक ने बताया इस मौके पर संपूर्ण शुक्ल यजुर्वेद संहिता के पारायण का आयोजन भी होगा। महोत्सव में गणेशजी का राजोपचार पूजन कर गणेश यंत्र का पूजन भी होगा। यंत्र की श्रीगणेश सहस्त्रनामावली से कुमकुम अर्चना एवं पुष्पार्चना की जाएगी। औंकारेश्वर के विद्वान आचार्य पं लोकेश अत्रे के आचार्यत्व में मंदिर के गर्भगृह में 17 फरवरी को 4 शुभ संयोग के बीच यह प्राण प्रतिष्ठा होगी। इस दिन रवि-पुष्य योग, त्रिपुष्कर योग, सर्वार्थसिद्धि योग एवं रवि योग एक साथ आ रहे हैं। फिलहाल यह यंत्र ताम्र पत्र पर बनवाया गया है और जल्द ही इसे भी स्वर्ण मडि़त करने की योजना है।
इसी तरह स्वर्ण मडि़त सिंहासन की पृष्ठभूमि को रजत मंडित करने और गर्भगृह की छत पर स्वर्ण मंडित श्रीयंत्र स्थापित करने की योजना भी है। उड़ीसा के वे कारीगर भी यहां पिछले 5 वर्षों से मंदिर के नवीनीकरण का काम कर रहे हैं, जिन्होंने यहां खंडवा रोड़ पर स्वामी नारायण मंदिर का निर्माण कार्य किया है। उन्होंने बताया कि शुक्ल यजुर्वेद संहिता का पाठ संभवत: पहली बार हो रहा है। यह अभिषेकात्मक होगा अर्थात जब तक वेदों का पाठ होगा तब तक श्री गणेशजी का दूध से अभिषेक अखंड धारा से किया जाएगा। हिंदू धर्म के चारों वेदों में से यजुर्वेद एक महत्वपूर्ण वेद है।