फरियादी जसविंदर सिंह ने बताया कि विजय नगर थाना क्षेत्र में स्कीम नंबर ५४ मैकेनिक नगर में मेरा प्लॉट है। इसे मैंने अपने रिश्तेदार रघुवीर सिंह को दिया था जहां वे अपना गाडिय़ों की बॉडी बनाने का गैरेज चलाते थे। मैंने जब उक्त प्लॉट को बेचना चाहा तो रघुवीर सिंह से इसे खाली करने के लिए कहा। कुछ दिनों तक उन्होंने खाली नहीं किया फिर बताया गया कि हमने कोर्ट में केस लगा दिया है। मैं अचंभित रह गया, मैंने कहा कैसा केस तो बोले हमारे बीच में जो अनुबंध था उसका केस। जबकि हमारे बीच अनुबंध हुआ ही नहीं। मैंने वकील के माध्यम से कोर्ट में से उक्त अनुबंधन और सभी दस्तावेज निकलवाए। उनकी जांच की तो सामने आया कि आरोपित रघुवीर सिंह, दोनों स्टाम्प वेंडर एवं गवाहों ने योजनाबद्ध तरीके से षड्यंत्र कर शासकीय स्टाम्प का दुरुपयोग किया। स्टाम्प कोषालय से जारी होने के पूर्व की तारीख को ही स्टाम्प बिक्री की तारीख डालकर व उस पर रघुवीर सिंह पिता केहर सिह ने उक्त गवाहों से सांठ-गांठ कर फर्जी अनुबंध लेख दिनांक 12.1.2008 का लिखकर तैयार कर लिया। उस पर फरियादी के फर्जी कूटरचित हस्ताक्षर करके कूटरचित दस्तावेज बनाए स्टाम्प वेंडरों ने भी फर्जी इंट्रियां व फर्जी तारीख व नम्बर डालकर स्टाम्प विक्रय दिखाया। जिससे शासकीय कोषालय को धोखा दिया कूटरचित दस्तावेज तैयार किए और उसका उपयोग असल बताकर किया। एएसपी शैलेंद्र ङ्क्षसह चौहान ने बताया कि उक्त मामले में विजय नगर पुलिस ने आरोपित रघुवीर सिंह, दीपक कुमार पाटोदी और निर्मल सिंह उर्फ मोंटू सिंह पर धोखाधड़ी सहित अन्य गंभीर धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है। फरियादी जसविंदर सिंह का कहना है कि पुलिस ने स्टाम्प वेंडरों पर एफआईआर दर्ज नहीं की। इस मामले में हम अधिकारियों से मिल शिकायत दर्ज कराएंगे।