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6000 परिवार को दिए थे सस्ते मकान, ऐसे मिला प्रित्जकर यानी आर्किटेक्ट फील्ड का नोबल

locationइंदौरPublished: Mar 09, 2018 09:06:29 pm

Submitted by:

amit mandloi

कमजोर वर्ग को co-oprative आवास के जोडऩे वाले बालकृष्ण बी दोषी को प्रित्जकर पुरस्कार

BALKRISHNA DOSHI
इंदौर. लो कॉस्ट हाउसिंग प्रोजेक्ट के साथ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सामूदायिक आवास से जोडऩे का बड़ा काम करने वाले बालकृष्ण बी दोषी को प्रतिष्ठित प्रित्जकर पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने इंदौर के विजय नगर क्षेत्र में आईडीए की आवासीय स्कीम ७८ में अरण्य नाम से इंक्रीमेंटल हाउसिंग के आधार पर प्लॉट ईडब्ल्यूएस श्रेणी को ६ रुपए प्रति वर्गफीट में उपलब्ध करवाएं। वर्तमान में यह सुनियोजित योजना पूरी तरह से बस गई है।
इंदौर शहर के सुनियोजित विकास में इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) की अहम भूमिका रही है। अस्सी के दशक में आईडीए ने स्कीम ७८ विकसित की, उस दौरान बालकृष्ण दोषी आईडीए के संपर्क में आए। स्कीम डिजाइन करते समय उन्होंने कहा, इसमें कम आय वर्ग के लिए बारे में भी सोचना चाहिए। उन्हें भी यहां सस्ती दर पर आवास मिलना चाहिए। इसी सोच को आकार देने के लिए छोटे मकान, प्लॉट्स के अलग-अलग स्लाइस बनाए और लोगों को सब्सिडाइज दर पर आवंटित किया। १२ बाय ३२ के प्लॉट काटकर पर सुनियोजित बसाहट की गई। आईडीए के तत्कालीन अफसर बताते हैं, आर्किटेक्ट दोषी की सलाह पर ही इंक्रीमेंटल हाउसिंग को बढ़वा दिया।इसमें छोटे प्लॉट्स पर उनकी जरूरत अनुसार आवश्यक निर्माण कर दिया। जैसे कुछ पर नक्शा तैयार कर प्लिंथ हाइट बना दी। कुछ में लेट-बाथ पेटर्न पर काम किया। अब यहां अधिकतर मकान सुविधाजनक व व्यवस्थित हैं। ब्लॉक कुछ इस तरह से बनाए गए, हवा का क्रॉसिंग रहे और सघन रहवासी क्षेत्र होने के बाद भी हवा-पानी-प्रकाश की कमी नहीं रहे। अंडर ग्राउंड ड्रेनज और पानी की लाइनें भी प्लानिंग का हिस्सा रहीं। इनके विकास पर खर्च की राशि को अनुपातिक रूप से बड़े प्लॉट्स की कीमत में शामिल किया गया।
रहवासी खुश
– रहवासी रामस्वरूप ने कहा, १९९० में यहां आए थे। आईडीए ने इतने सस्ते में मकान उपलब्ध करवा कर सारी सुविधाएं दीं। १२ बाय ३२ में सुविधाजनक मकान बना कर रह रहे हैं।
– राजेश मीणा बोले, सडक़ें भी पर्याप्त चौड़ी हैं। हां, सोच में एक कमी रही कि आर्थिक कमजोर भी कभी सक्षम होता है और दो पहिया वाहन खरीदता है। ऐसे में सभी ब्लॉक्स में दो पहिया वाहनों के लिए पार्किग की व्यवस्था की जाना चाहिए थी।
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